Success News| कसमार (बोकारो), दीपक सवाल : स्नातक की पढ़ाई करने के बाद अधिकतर युवक छोटी-मोटी नौकरी की तलाश में जुट जाते हैं. नौकरी की आस में वर्षों भटकते हैं, लेकिन जयप्रकाश महतो ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती करने की ठानी. आज वह अपने गांव में बंजर भूमि पर खेती करके मोटी कमाई कर रहे हैं. तरह-तरह की सब्जियों की खेती करते हैं. जयप्रकाश कसमार प्रखंड के बगदा पंचायत के मुंगो गांव के रहने वाले हैं. गांव में ही खांजो नदी के किनारे मां छिन्नमस्तिका मंदिर के निकट उनकी 2 एकड़ पैतृक जमीन है. उस पर उनके पिता भुवनेश्वर महतो पिछले कई दशक से खेती कर रहे हैं. करीब 8 साल पहले रामगढ़ कॉलेज, रामगढ़ से स्नातक करने के बाद कुछ समय तक जयप्रकाश ने भी नौकरी की तलाश की. मन लायक नौकरी नहीं मिली, तो पिता के रास्ते पर चलने का निर्णय लिया.
2021 में लीज पर ली थी 14 एकड़ बंजर जमीन
जयप्रकाश ने अपनी पैतृक भूमि के बगल में ही बंजर पड़ी लगभग 14 एकड़ टांड़ भूमि को वर्ष 2021 में लीज पर लिया. इस जमीन पर खेती शुरू कर दी. वह हर साल कद्दू, झींगा, करेली, परवल, कोहड़ा, दमबोदी, खीरा, तरबूज, टमाटर, बैंगन, मकई समेत और कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं. वह बताते हैं कि उपजायी गयी अधिकतर सब्जियां खैराचातर के हाट-बाजार में खप जाती हैं. जयप्रकाश ने बताया कि खेती से उन्हें हर वर्ष अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है.

जैविक खाद का करते हैं उपयोग
खास बात तो यह है कि जयप्रकाश खेती में जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल में छटांक भर भी यूरिया का उपयोग नहीं किया. वह कहते हैं कि इससे उपज भले थोड़ी कम होती है, लेकिन इस बात की संतुष्टि होती है कि लोगों को कीटनाशक रहित सब्जियां उपलब्ध करा पाते हैं. उनकी फसल खाकर किसी के स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होता. उन्होंने कहा कि जैविक खाद के उपयोग की वजह से ही इनकी सब्जियां और सभी फसलें आसानी से बिक जाती हैं.
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खांजो नदी से करते हैं पटवन
जयप्रकाश महतो खांजो नदी के पानी से अपने खेतों में पटवन करते हैं. करीब 300-400 मीटर की दूरी पर यह नदी है. मोटर लगाकर पाइप के जरिये खेतों तक पानी पहुंचाते हैं. इससे दिक्कत तो होती है, लेकिन फिलहाल सिंचाई के लिए अन्य कोई उपाय भी नहीं है. जयप्रकाश ने कहा कि आगे सिंचाई का साधन मिल जाये, तो खेती और भी अच्छी तरह से हो सकती है.

10 लोगों को दे रहे रोजगार
जयप्रकाश ने खेती शरू की, तो 10 स्थानीय ग्रामीण महिला-पुरुषों को नियमित रोजगार मिला. ये सभी खेती में मदद करते हैं. इसके एवज में सभी को मजदूरी का भुगतान किया जाता है. जयप्रकाश ने बताया कि खेती को और विस्तार देने की योजना है. इससे और भी अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिल सकेगा.
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