आकाश कर्मकार, फुसरो : फुसरो शहर के ढोरी बस्ती स्थित राजा बंगला चर्चित है. पांच दशक पूर्व वर्ष 1970 के पहले हजारीबाग के राजा कामाख्या नारायण सिंह का यहां ठहराव होता था. उनका पारिवारिक महल हजारीबाग के ईचाक पद्मा में था. उस दौर में राजा बंगला की खूबसूरती की काफी चर्चा थी. यह बंगला अंडर ग्राउंड हुआ करता था. परिसर में कई तरह पेड़-पौधे लगे हुए थे. यहां राजा कामाख्या नारायण सिंह कभी-कभी आकर रहते थे. हेलीकॉप्टर से आना-जाना करते थे. बंगला में उनका खाना बनाने के लिए बिहारी महतो थे. रामफल राम, माली हनिफ अंसारी, शिवन माली, सफाई कर्मी रामा घांसी थे. रात्रि प्रहरी सुशील सिंह व महावीर प्रसाद थे. बताया जाता है कि राजा कामाख्या नारायण सिंह वर्ष 1970 के बाद हजारीबाग में ही रहे. उन्होंने सीसीएल ढोरी को अपनी जमीन लीज पर देकर खदान खुलवायी थी. खदानों की देखरेख के लिए अपने निजी हेलीकॉप्टर से आते-जाते थे. इसके बाद सीसीएल ने राजा कामाख्या नारायण सिंह की जमीन का अधिग्रहण किया. इसका मामला कोर्ट में चला. वर्षों तक फैसला अटका रहा. बाद में सीसीएल ढोरी प्रबंधन के पक्ष में फैसला आया. वर्ष 1970 में सीसीएल ढोरी प्रबंधन ने इस बंगला का भी अधिग्रहण किया. वर्ष 1971 में राजा ने बंगला की चाबी और सामानों की सूची हजारीबाग कोर्ट में सौंप दी और हमेशा के लिए बंगला छोड़ कर हजारीबाग में ही रहने लगे. इसके बाद यह बंगला रखरखाव के अभाव में खंडहर बन गया था. दरवाजे, खिड़कियां व अन्य सामान चोर ले गये. तोड़फोड़ भी कर दी गयी. बाद में सीसीएल ढोरी प्रबंधन ने इसका सौंदर्यीकरण कराया. वर्ष 2007-08 में सीआइएसएफ को दे दिया गया. यहां कमांडेंट सहित अन्य पदाधिकारियों के कार्यालय हैं. बंगला को चहारदीवारी से घेर दिया गया. इसके कारण गांव व बाहरी लोगों का प्रवेश बंद हो गया. राजा बंगला के समीप हेलिपेड हुआ करता था. राजा कामाख्या नारायण सिंह द्वारा बंगला छोड़ कर जाने के बाद बंगला के सामने के खाली मैदान में गांव के युवक अक्सर खेलते थे. लेकिन सीआइएसएफ कार्यालय बनने के बाद मैदान छोटा हो गया और यहां खेलने के लिए आने वाले युवक अब लगभग यहां आना बंद कर दिया.
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