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BOKARO NEWS : निर्णायक साबित होगा बीएसएल कर्मी व ठेका मजदूरों का वोट

BOKARO NEWS : बोकारो विधानसभा चुनाव में बीएसएल कर्मी व ठेका मजदूरों का वोट निर्णायक साबित होगा. बोकारो स्टील में 1800 अधिकारी, 8200 कर्मी व 20,000 ठेका मजदूर कार्यरत हैं.

सुनील तिवारी, बोकारो : बोकारो विधानसभा चुनाव में बीएसएल कर्मी व ठेका मजदूरों का वोट निर्णायक साबित होगा. बोकारो स्टील में 1800 अधिकारी, 8200 कर्मी व 20,000 ठेका मजदूर कार्यरत हैं. इस तरह बीएसएल में कुल 30,000 कर्मी है. अगर प्रति परिवार चार वोटर भी जोड़ा जाय तो कुल वोट 1,20,000 है. यह वोट जिधर भी जायेगा, वह प्रत्याशी बोकारो विस का अगला विधायक बन सकता है. फिलहाल, बोकारो विस से चुनाव में खड़े लगभग सभी प्रत्याशी बीएसएल कर्मी व ठेका मजदूरों को रिझाने में जी-जान से जुटे हुये हैं.

यूनियन नेताओं के माध्यम से कर्मी व मजदूरों के बीच जा रहे हैं प्रत्याशी

बोकारो स्टील में भाजपा, कांग्रेस सहित लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों की यूनियन है. प्रत्याशी अपनी-अपनी पार्टी की यूनियन के माध्यम से प्लांट के अंदर व बाहर कर्मियों के बीच पहुंच रहे है. बीएसएल में एनजेसीएस यूनियन एटक, इंटक, सीटू, एचएमएस, बीएमएस सहित दर्जनों नन एनजेसीएस यूनियन सक्रिय है. बीएसएल कर्मियों व ठेका मजदूरों की मांग को लेकर यूनियन हीं आंदोलन करती रहती है. यही कारण है कि चुनाव में खड़े प्रत्याशी यूनियन नेताओं के माध्यम से कर्मी व मजदूरों के बीच जा रहे हैं.

सबसे अधिक परेशान व मुद्दे वाला समूह नियमित कर्मी व ठेका मजदूर

बोकारो विधानसभा में एक लाख से अधिक मतदाता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से बोकारो इस्पात संयंत्र से रोजगार के कारण जुड़े है. इनमें बीएसएल अधिकारी, नियमित कर्मचारी, ठेका मजदूर, ठेकेदार, व्यापारी व अन्य समूह में शामिल मतदाता है. सबसे अधिक परेशान व मुद्दे वाले समूह नियमित कर्मी व ठेका मजदूरों का है. कारण, इनकी कई मांग वर्षों से लंबित है. इस बार के चुनाव में बीएसएल कर्मियों व ठेका मजदूरों की मांग भी मुद्दा बन सकती है, कारण इसके वोटरों की संख्या एक लाख के पार है.

बीएसएल के नियमित कर्मचारियों के मुद्दे

– आधा-अधूरा वेज रीविजन

– एरियर का भुगतान- कर्मी का स्थानांतरण

– बीएसएल में यूनियन चुनाव- इंसेंटीव रिवार्ड में संशोधन

बीएसएल के ठेका श्रमिकों के मुद्दे

– 26 दिन की हाजरी

– नौकरी की गारंटी- इएसआई अस्पताल की स्थापना

– कोल इंडिया के जैसा डेली वेज- बीएसएल क्वार्टर की सुविधा

बीएसएल से संबंधित अन्य मुद्दे

– स्पष्ट विस्थापित नियोजन

– आश्रित नियोजन नीति- अतिक्रमण, जमीन व क्वार्टर पर कब्जा

– नगर में चोरी व लचर कानून व्यवस्था- आवारा पशुओ का आतंक

बीएसएल के नियमित कर्मियों व ठेका श्रमिकों को मुद्दों के हल कराने के आधार पर हीं वोट देना चाहिए. वोट हमारा और प्रतिनिधि मैनेजमेंट का नहीं चलेगा. सांसद-विधायक को संविधान प्रदत शक्तियां मिली होती है, लेकिन आश्चर्यजनक रुप से मैनेजमेंट पर कोई दवाब नहीं पड़ता है.

– हरिओम-अध्यक्ष, बीएकेएस बोकारो

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