Jharkhand News, Chaibasa News, चाईबासा न्यूज (सुनील कुमार सिन्हा) : गर्मी शुरू होते ही लोगों के हलक सूखने लगे हैं. शहर में स्टैंड पोस्ट नलों की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है. विभागीय उदासीनता की वजह से 69 पोस्ट नलों पर या तो दुकानें बन गयी है या फिर जमींदोज हो गये हैं. वहीं, 33 चालू पोस्ट नलों की स्थिति भी दयनीय है. इनमें से कई पोस्ट नल गड्ढों में दम तोड़ती नजर आ रही है. वहीं, कुछ पोस्ट नलों के पास कचरा डंप किया जाता है. ऐसे में लोगों को 10 रुपये की बोतल बंद पानी से प्यास बुझाना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों को होती है.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 10 साल पहले पोस्ट नलों को नगर परिषद को हस्तांतरित कर दिया गया था. तब तक ज्यादातर पोस्ट नलों नलों की स्थिति भी दयनीय हो चुकी थी. कई पोस्ट नल जमींदोज भी हो चुके थे. उस समय पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा नगर परिषद को हस्तांतरित किये गये पोस्ट नलों की संख्या 98 थी, लेकिन अब यह संख्या घटकर 33 पर जा सिमटी है. जानकारी के अनुसार, पूर्व में पेयजलापूर्ति और रख-रखाव की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की थी. पिछले 10 साल से यह जिम्मेदारी नगर परिषद निभा रहा है.
जानकारी के अनुसार, जैसे- जैसे पोस्ट नलों की संख्या घटती गयी, वैसे- वैसे चापाकल गाड़ने के काम में तेजी आती गयी. लोगों को पोस्ट नलों के जमींदोज होने से हो रही परेशानी से राहत दिलाने के लिए 450 चापाकल दिये गये. बावजूद पेयजल की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे में नगर परिषद को हर साल लोगों की प्यास बुझाने के लिए टैंकरों से पानी उपलब्ध कराना पड़ता है. सूत्रों की मानें, तो कई जगहों पर पोस्ट नल के स्थान पर दुकान बना लिये गये हैं. इतना ही नहीं, नगर परिषद कार्यालय के समीप ही पोस्ट नल हटाकर शौचालय जाने का रास्ता बना दिया गया है.
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सूत्रों की मानें, तो जलापूर्ति योजना शुरू होने के बाद शहर की मुख्य सड़क से लेकर मोहल्ले व गलियों की सड़क किनारे व चौक- चौराहे पर डेढ़ से भी ज्यादा पोस्ट नल स्थापित किये गये थे. जैसे- जैसे इन पोस्ट नलों की संख्या घटती गयी, चापाकल गाड़ने के काम में तेजी आती गयी. अब स्थिति यह है कि शहर के 50 फीसदी से ज्यादा घरों में बोरिंग व चापाकलों का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में 4.5 किमी वाले इस शहर की धरती में 3 हजार से भी ज्यादा छेद हो गये हैं. नतीजतन हर साल भूगर्भ जलस्तर गिरता जा रहा है. वहीं शहरी से सटे गांवों में भी जी-फोर व जी- फाइव ईमारतों का निर्माण तेजी से होता जा रहा है. इन इमारत में रहने वाले लोगों को पेयजल की सुविधा देने के लिए डिप बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है.
इस संबंध में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अभय कुमार झा ने कहा कि विभागीय आदेश है कि जहां राजस्व की प्राप्ति नहीं होती है, वहां पानी का कनेक्शन नहीं देना है. वैसे शहरी जलापूर्ति के तहत घर- घर पानी पहुंचायी जा रही है.
वहीं, नगर परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डोमा मिंज ने कहा कि शहर में पुराने जितने पोस्ट नल है, ज्यादातर की स्थिति खराब है. कई जगहों पर पोस्ट नल का पता ही नहीं है, लेकिन कुछ वार्ड पार्षदों की पहल पर पोस्ट नल लगवाया और दुरुस्त किया जा रहा है. जहां- जहां ज्यादा दिक्कत है, वहां टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जाता है.
Posted By : Samir Ranjan.