जैंतगढ़.
जगन्नाथपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों की प्रधान फसल धान खेतों में पक कर तैयार है. जगन्नाथपुर प्रखंड में लगभग एक हजार निबंधित किसान हैं. पूरे प्रखंड के लिए बीते वर्ष जैंतगढ़ लैंपस को धान अधिप्राप्ति केंद्र बनाया गया था. निबंधित किसानों को धान अधिप्राप्ति केंद्र में अपना धान बेचना था. लैंपस में घोटाला का मामला उजागर होने के बाद धान अधिप्राप्ति केंद्र में साल भर से तला लटका हुआ है. विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में बड़ा नंदा गांव में धान अधिप्राप्ति केंद्र बनाया था. अधिक दूरी होने के कारण जैंतगढ़ आस पास के किसानों ने अपना धान बड़ानंदा के बजाए खुले बाजार में बेचा. इस वर्ष भी धान कटाई जोरों से चल रही है पर अब तक कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जैंतगढ़ लैंपस के संबंध में नहीं होने के कारण किसान ऊहापोह में फंसे हैं.100 किसानों की दूसरी किश्त व बोनस बकाया
वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लगभग 100 किसानों की दूसरे किश्त और बोनस के पैसे का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है. किसान विभाग के चक्कर काट कर परेशान हो गये हैं. अब किसानों को अपना उत्पाद धान लैंपस के बजाए खुले बाजार में बेचना अधिक हितकर लग रहा है. किसानों के पास धान रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. चूहा खाने, वर्षा में नष्ट होने, हाथी के खाने और धान सुख कर कम होने के खतरे के बीच किसान अपनी उत्पाद को बाहर बेच रहे हैं.किसानों की जीविका का सबसे बड़ा साधन है धान
क्षेत्र की 40 से 60 फीसदी आबादी खेतिहर किसान हैं. जिनमें लगभग सभी किसान खरीफ में धान की फसल उगाते हैं. धान की खेती क्षेत्र के किसानों की जीविका का सबसे बड़ा साधन है. वहीं, वक्त मौसम और हाथी के खौफ से किसान सपरिवार लगकर जल्दी-जल्दी धान काटकर खलिहान तक ला रहे हैं. ग्रामीण पूरे परिवार के साथ अहले सुबह से धान काटने में लग जाते हैं. इसका प्रतिकूल असर हाट बाजार और दैनिक मार्केट पर पड़ रहा है. बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है.अविलंब बकाया भुगतान की मांग
मामू संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष जमादार लागुरी और भारतीय किसान संघ के प्रखंड अध्यक्ष पुरेंद्र पाठ पिंगुवा ने अविलंब जैंतगढ़ में धान अधिप्राप्ति केंद्र खोलने और किसानों की बकाया राशि की भुगतान करने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है