चाईबासा.
चाईबासा स्थित महिला कॉलेज परिसर में मंगलवार को जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम किया गया. केंद्र सरकार और जनजातीय मंत्रालय के निर्देशन में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजन की गयी. इसका समापन 26 नवंबर को बीएड के बहुद्देश्यीय भवन में किया गया. मुख्य अतिथि इग्नू क्षेत्रीय केंद्र, रांची के रजिस्ट्रार ओझा जयप्रकाश व कोल्हान विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ मिश्रा उपस्थित रहे. छात्राओं ने पारंपरिक वेश में अपनी संस्कृति के अनुसार अतिथियों का स्वागत किया. प्राचार्या डॉ प्रीतिबाला सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत किया. डॉ ओझा ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस विशेष रूप से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है. इस वर्ष 15 से 26 नवंबर तक मानने का निर्देश है. मौके पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रीतिबाला सिन्हा ने कहा कि संस्कृति व भाषा किसी भी सभ्यता की पहचान है. इसे बचाकर रखने की जरूरत है. इसके बिना व्यक्ति की पहचान समाप्त होने लगती हैप्रतियोगिताओं की विजेता छात्राएं हुईं पुरस्कृत
विभिन्न प्रतियोगिताओं के सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया. उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया. प्रतियोगिताओं में ट्राइबल कविता, कहानी वाचन, सेल्फी कॉर्नर मेकिंग, पेंटिंग, ऑनलाइन क्विज, ट्राइबल डांस, ट्राइबल फूड, शॉर्ट राइट अप प्रतियोगिता हुई. मौके पर मंच का संचालन डॉ अर्पित सुमन ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुचिता बाड़ा ने किया. मौके पर प्रो डोरिस मिंज, प्रो अमृता जायसवाल, मोबारक करीम हाशमी, डॉ ओनिमा मानकी, डॉ पुष्पा कुमारी, डॉ राजीव लोचन, प्रो बबीता कुमारी, प्रो शीला समद, प्रो प्रीति देवगम,, प्रो सितेंद्र रंजन सिंह, प्रो मदन मोहन मिश्रा, डॉ अंजना सिंह, डॉ रूबी कुमारी, डॉ ललिता सुंडी, प्रो सोनमई सुंडी, प्रो चंद्रमोहन, प्रो आयशा और बी.एड और स्नातक की छात्राएं उपस्थित हुईं.
उपकुलसचिव ने छात्राओं का उत्साहवर्द्धन किया
मौके पर केयू के उपकुलसचिव डॉ एमके मिश्रा ने कहा कि संस्कृति से हमारी पहचान होती है. हमें बड़े पैमाने पर इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर छात्राओं में अपने संस्कृति के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है. उन्होंने छात्राओं का उत्साहवर्धन किया. आदिवासी संस्कृति की बेहतर प्रस्तुतिमहिला कॉलेज की छात्राओं ने पेंटिंग, ट्राइबल नृत्य, सेल्फी कॉर्नर, ट्राइबल फूड, शॉर्ट राइट उपज, ट्राइबल पोएट्री और स्टोरी टेलिंग से अपने अंदर की सृजनात्मक को दिखाया. उन्होंने बहुत अच्छी तरह जनजातीय संस्कृति के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया.
दोना में परोसे गये जनजातीय व्यंजन
मौके पर आदिवासी सभ्यता के खान पान से संबंधित 10 स्टॉल लगाये गये. इसमें मूढ़ी-घुघनी, छिलका, पीठा, वेज व नन वेज लेटो, चिकन पीठा, मीठा पीठा समेत कई व्यंजन के स्टाल छात्राओं ने लगाया था. 5 से 10 रुपए में प्रति पीस मूल्य रखा गया था. हर पकवान को दोना बनाकर ही छात्राओं ने परोसा.
सेल्फी प्वाइंट में दिखी संस्कृति
चार सेल्फी प्वाइंट बनाये गये थे. सभी सेल्फी प्वाइंट देश के अलग-अलग भागों के आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित कर रहे थे. यहां तस्वीरें, साज सज्जा, वाद्य यंत्र, कृषि आदि व्यवस्था दिखी.
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