जैंतगढ़.
हारी हुई बाजी को जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं. विस चुनाव 2024 में गीता कोड़ा की जीत पक्की मानी जा रही थी. महागठबंधन के मतों का विकेंद्रीकरण गीता कोड़ा की जीत का आधार था. माइक्रो मैनेजमेंट के धुरंधर मधु कोड़ा की टीम की निगाहें इसी पर टिकी थी कि निर्दलीय प्रत्याशी मंगल सिंह बोबोंगा कितना मत काट पाते हैं. उनका खेमा इस बात को लेकर उत्साहित था कि श्री बाबोंगा विस चुनाव 2019 में 21 हज़ार से अधिक मत लाये थे. इस बार 20 हजार वोट अगर बोबोंगा की मिल जाये, तो गीता चुनावी वैतरणी पार कर लेंगी. इसी बात को उनके शागिर्द रह चुके सोनाराम सिंकू ने भांप लिया.मतों के विभाजन रोकने में सफल रहे सोनाराम
सोनाराम सिंकु चुनाव के दो दिन पहले से इंडिया गठबंधन के मतों का विभाजन रोकने में लग गये. इस अभियान को अमली जामा पहनाया कल्पना सोरेन के चुनाव प्रचार ने. जगन्नाथपुर में कल्पना के कार्यक्रम के बाद बिखर रहा महागठबंधन का वोट एकीकृत होने लगा. आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई मत कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में गोल बंद हो गये. कल्पना का कार्यक्रम टर्निंग प्वाइंट रहा.
लोस चुनाव में बोबोंगा ने जोबा को दिया था समर्थन
विगत लोकसभा चुनाव में श्री बोबोंगा ने बढ़-चढ़कर इंडिया गठबंधन प्रत्याशी जोबा माझी को समर्थन दिया था. इस कारण मतदाता दो भाग में बंटे थे. कल्पना के आह्वान पर इंडिया गठबंधन एकजुट हुआ. बोबोंगा सरीखे कुछ और निर्दलीय प्रत्याशियों का वोट कांग्रेस में शिफ्ट होने लगा. वहीं, सोना राम भी मधु कोड़ा के चुनाव के समय अंतिम दो दिनों के पैंतरे से अच्छी तरह वाकिफ थे. अंतिम दो दिनों के मधु कोड़ा के खेल को सोना विफल कर बाजीगर बन गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है