धर्मेंद्र गुप्ता कुंदा. टीएसपीसी उग्रवादियों ने शनिवार की रात हिंदियाकला गांव निवासी पंकज बिरहोर व उसके पिता बिफन बिरहोर की हत्या कर दिया था. रविवार को पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया. देर शाम दोनों के शव को अंतिम संस्कार गांव से तीन किमी दूर घने जंगल स्थित पूर्णापानी नामक नदी स्थित श्मशान घाट पर किया गया. लोग देर शाम वापस घर पहुंचे. अंतिम संस्कार में उग्रवादियों के डर से गांव व समाज के लोग सहयोग नहीं किया. गांव वालों को उग्रवादियों का इतना भय सता रहा था कि पंकज बिरहोर व उसके पिता बिफन बिरहोर के अंतिम संस्कार में परिजन समेत 11 लोग ही शामिल हुए. जिसमें आठ लोगों ने कंधा दिया, बाकी तीन लोग श्राद्ध समाग्री को हाथ में लेकर अंतिम संस्कार के लिए निकल पड़े. परिजनों ने बताया कि अंतिम संस्कार में समाज व गांव के लोगों को बुलाने पर भी नहीं आया है, कई लोग तरह तरह के बहाने बनाया, तो कई लोग अंतिम संस्कार में जाने से पूर्व गांव छोड़ अन्य गांव व बाजार चले गये. जबकि गांव में बिरहोर समाज के करीब 150 परिवार के अलावा अन्य जाति के लोग निवास करते हैं. फूट-फूट के रोने लगी पत्नी व गोतनी पति व ससुर के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय फूट फूट कर पंकज बिरहोर की पत्नी रूपा बिरहोरीन व गोतनी रमेश्वरी बिरहोरीन रोने लगी. रोने के दौरान कह रही थी कि गांव व समाज के ऐसा लोग है जो मृत्यु होने के बाद भी साथ नही देने वाला कोई है. समाज के जागरूक करें खातिर और सबको लाभ दिलावें में अपना जान भी दे देलव, तबों न गौवंन(गांव) वाला कोई साथ देलथुन गे मईया.. ये हो कृतिका (मृतक के पुत्री) के पापा कह कह कर खूब रोते बिलखते रही.
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