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देवघर : महाशिवरात्रि की रात नहीं होगी शृंगार पूजा, दस बजे होगी चतुष्प्रहर पूजा, जानें पूरा कार्यक्रम

बाबा एवं मां पार्वती सहित परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के गुंबद पर लगे पंचशूलों को नीचे उतारकर साफ करने के पश्चात गुरुवार को एक साथ सभी पंचशूलों की विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा.

देवघर : आठ मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर और शिव बारात समिति की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. जिला प्रशासन भी इस दिन भीड़ की संभावनाओं को देखते हुए तैयारी कर दी है. बाबा मंदिर में चली आ रही परंपरा के अनुसार ही कार्यक्रम किये जायेंगे. शिव बारात समिति की ओर से नगर स्टेडियम से भव्य बारात निकाली जायेगी. वहीं, बाबा मंदिर में पारंपरिक बारात निकलेगी. महाशिवरात्रि की रात्रि की रात बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. बाबा की चतुष्प्रहर पूजा के बाद जलार्पण शुरू हो जायेगा. महाशिवरात्रि के दिन अहले सुबह तीन बजे पट खुलने के बाद पारंपरिक कांचा जल पूजा और सरदारी पूजा के बाद आम भक्तों के लिए कपाट खोल दिया जायेगा. जलार्पण रात के करीब साढ़े नौ बजे तक लगातार जारी रहेगा. इस दिन बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. पौने दस बजे के करीब मंदिर के गर्भ को साफ कर पट बंद कर दिया जायेगा. उसके बाद बाबा मंदिर के प्रशासनिक भवन में मशाल जलाकर पारंपरिक बारात निकाली जायेगी. इस बारात में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा की अगुवाई में चार प्रहर पूजा का सामान लेकर मंदिर के कर्मचारी उपचारक एवं आचार्य गुलाब पंडित निकास द्वार से गर्भगृह में प्रवेश करेंगे. वहीं चतुष्प्रहर पूजा में बाबा के विग्रह पर सिंदूर अर्पित किया जाएगा.

विग्रह पर अर्पित किया जायेगा सिंदूर

रात में उपचारक भक्ति नाथ फलहारी की अगुवाई में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा को आचार्य गुलाब पंडित चार प्रहर की पूजा करायेंगे. हर प्रहर में बाबा को दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से विशेष पूजा की जायेगी. उसके बाद बाबा को वस्त्र अर्पित कर दूल्हे की जयमाला पहनायी जायेगी. अंत में बाबा के विग्रह पर साड़ी एवं शृंगार सामग्री अर्पित करने के बाद सरदार पंडा बेलपत्र से विग्रह पर सिंदूर अर्पित कर बाबा एवं मां पार्वती के विवाह के पहले प्रहर की पूजा संपन्न करेंगे. मालूम हो कि, महाशिवरात्रि के दिन ही बाबा के विग्रह पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. पूजा संपन्न होने के बाद आम भक्तों के लिए पट खोल दिया जायेगा. करीब चार बजे से छह बजे तक जलार्पण होने के बाद 20 से 25 मिनट के लिए मंदिर का पट बंद किया जायेगा. उसके बाद पुन: पट खोलकर दैनिक पूजा के बाद हर दिन की तरह पूजा प्रारंभ हो जायेगी.

गुरुवार को पंचशूल की होगी विशेष पूजा

बाबा एवं मां पार्वती सहित परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के गुंबद पर लगे पंचशूलों को नीचे उतारकर साफ करने के पश्चात गुरुवार को एक साथ सभी पंचशूलों की विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा. इस पूजा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. पूजा का आयोजन सुबह सात बजे से मंदिर प्रशासनिक भवन पर स्थित राधाकृष्ण मंदिर के बरामदे पर किया जाएगा. इस पूजा में आचार्य के तौर पर गुलाब पंडित एवं पुजारी के तौर पर मंदिर महंत स्वयं सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा रहेंगे. वहीं इस पूजा में चली आ रही परंपरा के अनुसार फलहारी परिवार की ओर से भक्ति नाथ फलहरी पूजा को संपन्न कराने में रहेंगे.

पूजा के बाद गठबंधन चढ़ाने की परंपरा होगी बहाल

पंचशूल उतरने के बाद बाबा एवं मां पार्वती मंदिर के बीच गठबंधन चढ़ाने की परंपरा को बंद करने के उपरांत पंचशूल की पूजा संपन्न कर बाबा व मां पार्वती मंदिर के गुंबद पर पंचशूल को लगाया जाएगा. पंचशूल लगाने के बाद सुहाग का प्रतिक बाबा एवं मां पार्वती के बीच गठबंधन बांधने की परंपरा को बहाल किया जाएगा. इस परंपरा की शुरूआत सबसे पहले सरदार पंडा करेंगे. राजू भंडारी संकल्पित गठबंधन को बाबा के पंचशूल में बांध कर नीचे गिराएंगे. उसके बाद सरदार पंडा उस गठबंधन को पकड़ कर मां पार्वती के मंदिर तक जाएंगे. फिर वहां भंडारी गठबंधन के डोर को पकड़ कर मां के मंदिर के ऊपर स्थापित पंचशूल में बांधागे. इसके साथ ही गठबंधन चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ होगी. उसके बाद महाशिवरात्रि के दसवें दिन बाबा का दशहरा पर्व मनाया जाएगा. इस दिन एक बार फिर से बाबा एवं मां पार्वती के बीच बंधे गठबंधन को खोल दिया जाएगा. गठबंधन खोलने की परंपरा दोपहर बाद होगी उसके दूसरे दिन सुबह पुन: इस परंपरा की शुरूआत सरदार पंडा करेंगे.

बाबा पर सबसे पहले रोहिणी से आये मोउर मुकुट चढ़ाने की परंपरा

शुक्रवार को महाशिवरात्रि के साथ प्रदोष का भी संयोग बन रहा है. इससे पहले महाशिवरात्रि से एक दिन पहले प्रदोष पड़ता था. आठ मार्च को सूर्योदय के साथ प्रदोष शुरू होगा, जो दोपहर तक रहेगा. यह जानकारी बाबा मंदिर के इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने दी. उन्होंने बताया कि, दोपहर के बाद चतुर्दशी पड़ जायेगा, जो मध्य रात्रि तक रहेगा. दोनों दिन महादेव का खास दिन माना गया है. बाबा बैद्यनाथ को मनोकामनालिंग कहा गया है और यहां आने वाले भक्तों की बाबा हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. इसी में एक खास कार्य है महाशिवरात्रि को बाबा पर मोर मुकुट अर्पित करने की परंपरा है. अविवाहित लोग इस दिन बाबा पर मोउरमुकुट चढ़ाकर शादी की कामना करते हैं. बाबा उसके मन के मुताबिक जीवनसाथी प्रदान करने की कामना प्रदान करते हैं.

बाबा पर पहले चढ़ाया जायेगा रोहिणी से आया मोउर मुकुट

मोउर मुकुट शादी के दौरान वर एवं कन्या को पहनाया जाता है. शादी में सिंदूरदान के दौरान वर को मोउर तथा कन्या को मुकुट पहनाने की परंपरा है. महाशिवरात्रि के दिन रोहिणी से लाया गया मोउर मुकुट को सबसे पहले बाबा मंदिर के गुंबद पर भंडारी राजू द्वारा चढ़ाया जायेगा. उसके बाद आम लोगों के द्वारा मोउरमुकुट को चढ़ाने की परंपरा शुरू होगी.

दो तरह से मोउर मुकुट चढ़ाने की परंपरा

मिली जानकारी के अनुसार, मोउर मुकुट दो तरह से चढ़ाने की परंपरा है. पहला इस खास दिन पर आकर कोई अविवाहित शादी होने पर मोउर मुकुट चढ़ाने की मन्नत रखता है और एक साल के अंदर उसकी शादी हो जाती है तब वह अगले साल आकर मोउर मुकुट चढ़ाता है. दूसरा, मोउर मुकुट चढ़ाकर मन्नत की कामना करने का विधान है. चढ़ाये गये मोउर मुकुट बाबा दशहरा यानी महाशिवरात्रि के नौ दिन बाद खोला जाता है.

मोउर मुकुट की खूब होती है खरीद-बिक्री

बाबा मंदिर के पश्चिम द्वार पर अहले सुबह तीन बजे से ही मोउर मुकुट बेचने वालों की कई दुकानें लग जाती है. दुकानों में 20 से 100 रुपये तक मोउर मुकुट खरीदकर भंडारी से बाबा मंदिर के शिखर पर चढ़वाएंगे. यह परंपरा रात के नौ बजे तक जलार्पण होने तक जारी रहेगी.

बाबा मंदिर में हाेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जागरण का खास महत्व है, इस दिन जागरण करने से बाबा भोले नाथ के साथ-साथ माता पार्वती की अपने भक्तों पर खास कृपा होती है. इसका ध्यान रखते हुए शिवरात्रि समिति की ओर से बाबा मंदिर परिसर में जागरण के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है.इस बार भी टी सीरीज के नामी भजन गायक मनोज अजीत के द्वारा भजन कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसके लिए सारी तैयारी पूरी कर ली गई है.

बाबा मंदिर से निकलेगी पारंपरिक बारात

चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर प्रबंधन की ओर से प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार मंदिर प्रशासनिक भवन से पारंपरिक बारात का आयोजन किया जाएगा. ये बारात रात के करीब पौने दस बजे निकाली जाएगी. बाबा मंदिर सफाई कर्मी शरू राउत मशाल जलाकर बारात की अगुवानी करेंगे. इस पारंपरिक बारात में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा की अगुवाई में आचार्य गुलाब पंडित उपचारक भक्ति नाथ फलहारी सहित अन्य कर्मी बाबा के चतुष्प्रहर पूजा के सामानों को लेकर निकास द्वार पर पहुंच कर बारात निकालने की परंपरा को संपन्न करेंगे. उसके बाद निकास द्वारा से सभी लोग गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे.

चतुष्प्रहर पूजा के बाद जलार्पण रहेगा जारी

रात दस बजे से लेकर सुबह के करीब साढ़ तीन बजे तक चतुष्प्रहर पूजा के बाद आम भक्तों के लिए जलार्पण जारी रहेगा. सुबह के करीब छह बजे मंदिर का पट 20 से 25 मिनट के लिए बंद रहेगा, उसके बाद पुन: काचाजल पूजा एवं दैनिक सरदारी पूजा के बाद आम दिनों की तरह पूजा प्रारंभ हो जाएगी.

महाशिवरात्रि पर नहीं होगी श्रृंगार पूजा

इस दिन बाबा का पट सुबह तीन बजे खुलने के बाद रात के साढ़े नौ बजे तक आम भक्त जलार्पण करेंगे. बाबा का श्रृंगार पूजा नहीं होगा. इस संबंध में मंदिर ईस्टेट पुरोहित बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन बाबा दुल्हा होते हैं श्रृंगार की जगह इनका भव्य चतुष्प्रहर पूजा होता है इसलिए सुबह मंदिर का पट खुलने से लेकर बंद होने तक पूजा ही होगा भक्त बाबा पर लगातार जलार्पण करेंगे.

बदली रहेगी मंदिर की व्यवस्था

महाशिवरात्रि के दिन बाबा मंदिर में आए भक्तों को सुलभ जलार्पण कराने के लिए चौक चौंबंध व्यवस्था रहेगी. भक्तों को सुलभ जलार्पण कराने के लिए चप्पे – चप्पे पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहेगा. कतार वद्ध पूजा कराने के लिए बीएड कॉलजे तक कतार लगाने की व्यवस्था रहेगी. वहीं शीघ्र दर्शनम की व्यवस्था भी पूरी तरह से बदली रहेगी.

पांच सौ रुपये में बिकेगा कूपन

महाशिवरात्रि के दिन बाबा मंदिर आए भक्तों को शीघ्र दर्शनम का कूपन पांच सौ रुपया में मिलेगा. कूपन सुबह पांच बजे से मिलना प्रारंभ हो जाएगा. वहीं कूपन लेने वाले भक्तों को प्रशासनिक भवन के रास्ते से ही गर्भगृह में भेजने की व्यवस्था रहेगी.

वीआईपी पूजा पर रहेगा प्रतिबंध

महाशिवरात्रि के अवसर पर संभावित भीड़ को देखते हुए बाबा मंदिर प्रशासक सह डीसी विशाल सागर ने इस दिन किसी भी तरह के वीआईपी पूजा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. इसके लिए राज्य एवं केंद्र सरकार को भी सूचित कर दिया गया है. इस दिन आए भक्तों को कूपन के रास्ते से ही कतार वद्ध तरीके से पूजा कराया जाएगा.

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