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देवघर : बाबा मंदिर में राम दरबार की होती है पूजा

इस मंदिर से राम के साथ हनुमान के पूजा का महत्व है. राम मंदिर की लंबाई लगभग 60 फीट व चौड़ाई लगभग 35 फीट है. राम मंदिर के शिखर पर पहले तांबे का कलश स्थापित है. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है.

संजीव मिश्रा, देवघर :

12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा के बाद भक्त मां देवी शक्ति की पूजा करते है. इसके उपरांत भक्त विष्णु के 6वें अवतार त्रेतायुग में राक्षसराज रावण का अंत करने भगवान राम ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लिया था. इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया. भगवान विष्णु के अवतार होने के साथ शिव के 11वें रुद्रअवतार हनुमान को राम का सबसे बड़ा भक्त माना गया है. इन दोनों का एक साथ एक जगह होने से इस मंदिर का अलग महत्व है.

जहां भक्त पूजा करने के लिए घण्टों कतार में लग कर भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुद्धन व हनुमान की पूजा करते हैं. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा ने 1782 से 1792 के बीच इस मंदिर का निर्माण कराया. यह मंदिर मुख्य मंदिर के पीछे पश्चिम की तरफ स्थित है. इस मंदिर से राम के साथ हनुमान के पूजा का महत्व है. राम मंदिर की लंबाई लगभग 60 फीट व चौड़ाई लगभग 35 फीट है. राम मंदिर के शिखर पर पहले तांबे का कलश स्थापित है. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे….. रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. इस मंदिर के बाहरी ओर के चारों तरफ तीन तीन हनुमान जी की आकृति बनी है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम दो सीढ़ियों को पार करके भक्त राम सीता के प्रांगण में पहुंचते है. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं.

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जहां राम के साथ दो मूर्तियों के दर्शन होते हैं. बीच में भगवान राम उनके चरण के पास भरत व शत्रुद्धन. भगवान राम की मूर्ति बाई ओर मां सीता की मूर्ति व दाई ओर लक्ष्मण के साथ हनुमान की मूर्ती. जहां भगवान राम सीता व लक्ष्मण की मूर्ति खड़ी मुद्रा की काले पत्थर की बनी मूर्ती स्थापित है. यहां पर भक्तों वह पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर से पूजा की जाती हैं. यहां पर भगवान राम सीता व लक्ष्मण की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. भक्त सालों भर भगवान की पूजा कर सकते हैं. लेकिन चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी को पूजा का अलग महत्व है. इस दिन मंदिर स्टेट की ओर से विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा फलाहारी परिवार के द्वारा रामनवमी के दिन भगवान की विशेष पूजा व महाश्रृंगार किया जाता है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही फलाहारी परिवार के वंशज भगवान राम मंदिर के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.

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