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देवघर : कोर्ट में मुकदमा करनेवालों में महिलाएं आगे, 320 दिनों में 1052 केस दर्ज

आम तौर पर वैसे लोग कोर्ट की शरण लेते हैं, जिनकी फरियाद थाना में नहीं सुनी जाती है. निराश होकर कोर्ट की शरण लेते हैं और न्याय की आस रखते हैं. सिविल कोर्ट देवघर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दाखिल किया जाता है.

विधि संवाददाता, देवघर : न्याय मंडल, देवघर में जनवरी 2023 से 13 नवंबर 2023 तक यानि 320 दिनों में 1711 परिवाद पत्र दाखिल हुए हैं. इसमें सिविल कोर्ट देवघर व अनुमंडल सिविल कोर्ट मधुपुर के मामले शामिल हैं. दाखिल मुकदमों में सीजेएम की अदालत देवघर में 1347 व एसडीजेएम मधुपुर की अदालत में 364 केस शामिल हैं. देवघर में 241 मामलाें का निष्पादन हुआ है, जबकि मधुपुर में 87 केस का निबटारा हुआ है. अदालत में दर्ज कराये गये कंप्लेंट केस में महिलाओं की संख्या देवघर में 797 तथा मधुपुर में 255 है. कहने का तात्पर्य है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं द्वारा ज्यादा केस दर्ज कराये गये हैं. मामलों की प्रकृति को देखा जाये, तो इसमें अधिकतर केस दहेज प्रताड़ना के हैं. इसके अलावा छेड़खानी, मारपीट, जानलेवा हमला, अपहरण, दुष्कर्म, डायन प्रताड़ना, दलित प्रताड़ना, पाॅक्सो एक्ट, साइबर फ्रॉड, अश्लील तस्वीर खींच कर सोशल साइट पर वायरल करने, चोरी, छिनतई, लूटपाट, आगजनी आदि के हैं.

केस दर्ज कराने के लिए बने हैं अलग-अगल कोर्ट

आम तौर पर वैसे लोग कोर्ट की शरण लेते हैं, जिनकी फरियाद थाना में नहीं सुनी जाती है. निराश होकर कोर्ट की शरण लेते हैं और न्याय की आस रखते हैं. सिविल कोर्ट देवघर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दाखिल किया जाता है, जबकि अनुमंडल सिविल कोर्ट मध़ुपुर में एसडीजेएम मधुपुर के कोर्ट में केस दाखिल होते हैं. इन दोनों न्यायालयों के अलावा दलित प्रताड़ना के केस के लिए विशेष न्यायालय एडीजे प्रथम, साइबर फ्रॉड व आइटी एक्ट के लिए विशेष न्यायालय एडीजे दो तथा पॉक्सो एक्ट के मामलों के लिए विशेष न्यायालय एडीजे तीन को शक्तियां प्रदत हैं. इन न्यायालयों में पीड़ित पक्षकार अपनी फरियाद दाखिल न्याय पाने की पूर्ण चाहत में करते हैं. हालांकि अधिकतर मामले कोर्ट में ही सुनवाई के लिए रखा जाता है, लेकिन गंभीर मामलों को संबंधित थाना को एफआइआर दर्ज व जांच करने के लिए भेज दिया जाता है. केस दर्ज कराने वालों द्वारा शपथ पत्र दाखिल किया जाता है, जिसमें उल्लेख करना होता है कि प्रशासनिक स्तर पर उनके आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की गयी, इसलिए कोर्ट में केस दाखिल कर रहे हैं. 320 दिनों के आंकड़ों पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि एक हजार से अधिक मामले सिर्फ महिलाओं की ओर से दर्ज कराये गये हैं. महिलाएं बौद्धिक व कानूनी तौर पर ज्यादा जागरूक हैं, तभी तो उनके साथ हुई घटनाओं में वारदात को अंजाम देने वालों को सजा दिलाने के लिए चौखट से बाहर निकल कोर्ट की शरण लेती हैं. दर्ज मुकदमों में देवघर में 241 तथा मधुपुर में 87 केस का निष्पादन हुआ है. इसे दूसरे शब्दों में कहा जाय तो कुल 328 मुकदमों में सुलह भी हुआ है. इसमें से देवघर में 196 एवं मधुपुर में 56 यानि कुल 252 महिलाओं ने केस वापस ली हैं.

दाखिल परिवाद एक नजर में

कोर्ट महिलाएं पुरुष कुल

सीजेएम देवघर 797 550 1347

एसडीजेएम मधुपुर 255 109 364

टोटल 1052 659 1711

क्यों करते हैं कोर्ट में केस दर्ज

अदालत में केस दर्ज कराने की प्रक्रिया सरल है. पीड़ित पक्ष अपनी फरियाद को लेकर अधिवक्ता के पास आते हैं एवं सारी वस्तु स्थिति को बताते हैं. पुनश्च परिवाद पत्र की अर्जी शपथ पत्र के साथ दाखिल की जाती है. अदालत में सम्मानजनक तरीके एवं निर्भीक होकर अपना पक्ष रखते हैं. साथ ही अदालत पर पूर्ण भरोसा होता है कि न्याय मिल सकेगा.

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