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देवघर : मेडिकल कॉलेज में नामांकन के नाम पर डॉक्टर और उनके रिश्तेदार से लाखों की ठगी

देवघर में मेडिकल कॉलेज में नामांकन के नाम पर डॉक्टर और उनके रिश्तेदार से 5.47 लाख की ठगी कर ली गई. जिसके बाद भुक्तभोगी ने अज्ञात मोबाइल धारक पर प्राथमिकी दर्ज कराई. साइबर थाने की पुलिस मामला दर्ज कर जांच-पड़ताल में जुट गई है.

बिहार के कटिहार मेडिकल कॉलेज में नामांकन के नाम पर साइबर ठगों ने देवघर के एक सर्जन डॉक्टर सहित उनके रिश्तेदार से 5.47 लाख रुपये की ठगी कर ली. घटना को लेकर नगर थाना क्षेत्र के आशाराम केशान रोड के सर्जन डॉ आलोक मोहन सिन्हा ने साइबर थाने में अज्ञात मोबाइल धारक पर प्राथमिकी दर्ज करायी. मामले में उन्होंने कहा है कि साइबर ठगों ने उनसे 97 हजार रुपये ठगे हैं. ठगी के रकम में से 40 हजार रुपये उन्होंने एनइएफटी किये व बाकी के 57000 रुपये गूगल-पे से ट्रांसफर किये. वहीं उनके रिश्तेदार ने साढ़े चार लाख रुपये ठगी की प्राथमिकी जामताड़ा में दर्ज करायी है.

डॉ आलोक द्वारा साइबर थाने में दर्ज कराये गये मामले में जिक्र है कि 12 जून की दोपहर 2:10 बजे अज्ञात मोबाइल धारक ने कॉल कर अपना परिचय कटिहार मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापक डॉ आरबी गुप्ता के तौर पर दिया था. कहा था कि हजारीबाग के उनके मित्र डॉ सतवीर सिंह से उनका नंबर मिला. उसने कहा था कि यूजी व पीजी में सीट बढ़ाने के लिए संविदा पर बहाली हो रही है. सहमति जताने पर उसी दिन शाम में उसने मैसेज कर कहा कि एक छात्र के पिता के आकस्मिक मृत्यु के कारण एनआरआई कोटे का एक मेडिकल सीट खाली हो गया. बिना परीक्षा दिये उसने सीट छोड़ दिया, तो एनएमसी से एनओसी भी मिल चुका है. एनओसी की प्रति देते हुए आरोपी ने कहा था कि कोई छात्र रहे तो बतायें. दो दिन बाद उनके एक रिश्तेदार ने अपनी पुत्री की नीट की सफलता वाली बात उनसे शेयर किया. रैंक ज्यादा था, इसलिए उन्होंने रिश्तेदार का नंबर शेयर कर दिया.

आरोपी ने कटिहार मेडिकल कॉलेज के स्टांप पेपर पर एनएमसी के पास एनओसी का आवेदन मेल किया. साढ़े चार लाख की रकम ट्रांसफर करने के बाद 16 जून को बीसीईसीई के दफ्तर में बायोमीट्रिक के लिए बुलाया गया. इस बीच उनसे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर आरोपी ने 97 हजार रुपये की मांग कर दी. यह कहकर उसने झांसे में ले लिया कि देर होने पर यह स्थगित हो जायेगा. रिश्तेदार ट्रेन पर थे, तो उन्होंने 97000 रुपये आरोपी को ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया. बीसीईसीई ऑफिस में उनके रिश्तेदार पहुंचे तो वहां बोला गया कि यहां कोई बायोमीट्रिक नहीं होता है. इसके बाद उन्हें लगा कि वे लोग ठगी के शिकार हो गये हैं. मामला दर्ज कर साइबर थाना की पुलिस पड़ताल में जुटी है.

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