देवघर : एक ओर जहां भाजपा ने गोड्डा लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा पहले ही कर दी है. पार्टी ने जीत की हैट्रिक लगा चुके डॉ निशिकांत दुबे पर ही विश्वास जताया है. वहीं इंडिया गठबंधन से गोड्डा लोकसभा सीट से कौन होगा उम्मीदवार, अभी भी संशय बरकरार है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में मंथन का दौर चल रहा है. पार्टी की स्टेट कमेटी ने जो तीन नाम भेजे हैं, उनमें सबसे आगे अभी प्रदीप यादव चल रहे हैं, फुरकान अंसारी भी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं. वहीं दीपिका पांडेय सिंह की बात करें तो उनकी ओर से भी जबरदस्त लॉबिंग हो रही है, जबकि एक नाम आलमगीर आलम का सुर्खियों में था, बताया जाता है कि उन्होंने गोड्डा सीट से लड़ने को लेकर पल्ला झाड़ लिया है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व टिकट देने में पूर्व के चुनावों की स्थिति का आकलन भी कर रहा है. इस तरह गोड्डा लोकसभा सीट पर टिकट लेकर खूब रस्साकशी चल रही है. वहीं कांग्रेस आलाकमान दमदार प्रत्याशी की तलाश में है.
अल्पसंख्यक कोटे से फुरकान का नाम भी आगे
इन सबमें एक नाम फुरकान अंसारी का जोरों पर चल रहा है. ये गोड्डा से सांसद भी रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में 60282 वोटों के अंतर से ही भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे से हारे थे. इस चुनाव में उन्हें 3 लाख 19 हजार 818 वोट मिला था, जबकि विजेता भाजपा प्रत्याशी को 3 लाख 80 हजार 500 वोट प्राप्त हुआ था. इनके दावे के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि फुरकान अल्पसंख्यक कोटे से आते हैं और कांग्रेस ने अभी तक झारखंड में लोकसभा चुनाव में एक भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. ऐसे में गोड्डा ही एक मात्र ऐसा लोकसभा सीट है, जहां अल्पसंख्यक वोट डिसाइडिंग फैक्टर साबित हो सकता है. इसलिए उन्होंंने आलाकमान को गोड्डा के वोटों के समीकरण से अवगत करा दिया है.
सीटों की अदला-बदली होने की भी चर्चा
चुनावी चर्चा के बीच, एक बात यह भी सुर्खियों में है कि गोड्डा सीट के टिकट की माथापच्ची से बचने के लिए कांग्रेस-झामुमो सीटों की अदला-बदली भी कर सकती है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कांग्रेस गोड्डा सीट इस बार झामुमो को देकर बदले में जमशेदपुर सीट पर चुनाव लड़े. यह भी चर्चा है कि झामुमो केंद्रीय सत्ताधारी दल के ही किसी आयातित नेता को भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारे, ताकि कड़ी फाइट दे सके. इसके पीछे की वजह बतायी जा रही है कि प्रदीप यादव लगातार भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे से हारे हैं. 2019 के चुनाव में तो पूरा विपक्ष यूनाइट होकर लड़ा था, फिर भी भाजपा जीती थी.