देवघर. खोरठा दिवस पर कुशवाहा भवन में खोरठा सृजन मंच के बैनर तले विचार सह कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बालेश्वर प्रसाद सिंह, रिटायर्ड प्रो रामनंदन सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता त्रिवेणी वर्मा, रिटायर्ड हेडमास्टर कैलाश कापरी प्यासा, डॉ सविता घोष, रवि शंकर साह, धीरेंद्र छतहारवाला व मंच के संस्थापक अध्यक्ष ने किया. कार्यक्रम में खाेरठा भाषा की पत्रिका खांटी मांटी के दूसरे अंक का लोकार्पण अतिथियों ने किया. कार्यक्रम दो सत्रों में चला. पहला सत्र विचार गोष्ठी का चला, जिसमें मुख्य अतिथि बालेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि खोरठा भाषा का संरक्षण समय की मांग है. वहीं प्रो रामनंदन सिंह ने कहा कि खोरठा बोलने से कतई झिझक नहीं, हमेशा खोरठा बोलें. त्रिवेणी वर्मा ने कहा कि खोरठा मां के गोद की भाषा है, इसमें जो भाव है, वह अन्यत्र संभव नहीं है. कैलाश कापरी प्यासा ने कहा कि खोरठा भाषा को सहेजने की जरूरत है.
दूसरा सत्र कवि गोष्ठी का चला. गोष्ठी की शुरूआत मां सरस्वती की वंदना से हुई, जिसे डॉ सविता घोष ने मधुर आवाज में सुनायी. वहीं कपिलदेव राणा ने देवघर समेत झारखंड का चित्रण करते हुए खोरठा में कविता सुनाकर सभी को हंसाकर लोट-पोट कर दिया. अनिता चौधरी ने खोरठा में गीत सुनाये. सुनीता मजुमदार ने प्रकृति पर आधारित कविता का पाठ किया. दुमका से आये कवि डॉ नवीन चंद्र ठाकुर ने वर्तमान समाज पर कविता के माध्यम से बिंब खींचा, जबकि विष्णु देव महतो अलबेला ने ककरा करब अरपन, बात हमराक कुछ नांय बुझाइ सुनायी. दुमका से आये उत्तम लयकार व रोहित अंबष्ट ने भी बेहतरीन कविता सुनायी. धीरेंद्र छतहारवाला ने -गरीबक व्यथा नामक कविता का पाठ किया, जबकि नरेश साह ने पूंजीपतिक बात मानो हे पाठ की. वीरेश वर्मा ने -सर सर बोहे हवा, कांपे हमर मोन हे… गाकर सबों को झूमाया. रवि शंकर साह ने-बिटिया करे सवाल कविता पाठ कर झूमाया. गोष्ठी में डॉ विजय शंकर, प्रकाश चंद्र झा, उमाशंकर राव उरेंदु, अशोक पांडेय, देवेंद्र कुमार वर्मा, सरोज गुप्ता, विपुल कुमार मिश्रा समेत कई दर्जन कवियों ने अपनी कविता सुनायी अतिथियों को भगवती देवी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया. मंच संचालन एफएम कुशवाहा ने किया. धन्यवाद ज्ञापन नरेंद्र कुमार ने किया. मौके पर चंदन कुशवाहा, राकेश कुमार, राजेश मंडल, श्रवण कुमार मांझी समेत कई लोग मौजूद थे.गोष्ठी में लिये गये प्रस्ताव
विचार गोष्ठी में सर्वसम्मति खोरठा भाषा की पढ़ाई सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में लागू करने की मांग की गयी. साथ ही संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने, राज भाषा का दर्जा दिलाने, सभी सरकारी स्कूलों में खोरठा की पढ़ाई करने का आदेश देने, खाेरठा रचनाकारों की रचना सरकारी खर्च पर प्रकाशित करने आदि का लिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है