संवाददाता, देवघर : राजस्थान के माउंट आबू से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने देवघर केंद्रीय कारा में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह कारागृह नहीं, बल्कि सुधारगृह है. इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने के लिए रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं. इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो, बुरी आदतों में परिवर्तन कर फिर समाज में जाना है. इस में एक दूसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है. उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचो कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं. मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है. मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है. उन्होंने कहा कि जो जैसा करता है वैसा फल पाता है. हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं. उन्होंने बंदियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए. यह कारागृह आपके जीवन में सुधार लाने का तपोस्थल है. आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे. अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए. मौके पर अन्य वक्तओं ने भी विचार रखे.
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