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बिरसा मुंडा की मनायी गयी 150 वीं जयंती

जल-जंगल-जमीन की रक्षा कर ही होगी आदिवासियत की रक्षा

मधुपुर. शहर के बावनबीघा स्थित संवाद परिसर में शुक्रवार को क्रांति वीर बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती सह झारखंड स्थापना दिवस मनाया गया. कार्यकर्ताओं ने क्रांति वीर बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम ने कहा कि बिरसा मुंडा के देश की आजादी के लिए दिये गये बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को खूंटी जिला के उलिहातु ग्राम में एक किसान परिवार में हुआ था. बचपन से अंग्रेजों का अत्याचार को देख बिरसा मुंडा के मन में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की भावना जगी. भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातीय विद्रोह उलगुलान प्रारंभ किया, जिसका नेतृत्व स्वयं बिरसा मुंडा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ने वाले महान आदिवासी जन चेतना के लोकनायक बिरसा मुंडा के शौर्य बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. जल-जंगल-जमीन की रक्षा का संदेश आज भी प्रासंगिक है. मौके पर ललिता, अबरार, किसुन, सीमांत, सैफुद्दीन, प्रदीप, विजय, जावेद, पवन, महानंद, तुहीन, धर्मेंद्र, सुभाष, श्यामलाल, अनूप आदि मौजूद थे.

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