Shravani Mela: सावन के महीने में झारखंड का देवघर जिला लाखों कांवरियों से भर जाता है. हर दिन यहां भक्तों का हुजूम आता है. बाबा बैद्यनाथ के भक्त अलग-अलग शहर, राज्य से देवघर की ओर चल पड़ते हैं. हर साल लगने वाले देश के सबसे बड़े मेले के लिए 2 राज्यों की सरकारों को विशेष इंतजाम करना होता है.
कांवरियों के रहने के लिए देवघर में खास इंतजाम
शिवभक्तों की सुरक्षा से लेकर उनकी सहूलियत तक का ख्याल सरकारें रखतीं हैं. बिहार और झारखंड की सरकारों को इसके लिए खास तैयारी करनी होती है. आज हम आपको बताएंगे कि देवघर में जिला प्रशासन कांवरियों की सुविधा के लिए क्या-क्या करता है. देवघर जिला के सरासनी गांव के पास प्रशासन ने एक आध्यात्मिक भवन का निर्माण किया है. इसमें एक समय में 12,000 कांवरिया (भक्त) रह सकते हैं.
शिवभक्तों को मौसम की मार से बचाने के लिए विशेष इंतजाम
अगस्त के महीने में चिलचिलाती धूप और बारिश दोनों से लोगों को जूझना पड़ता है. इसलिए देवघर प्रशासन जगह-जगह वाटरप्रूफ पंडाल का निर्माण करवाता है. इसके अलावा तेज धूप से बचाने के लिए कांवरिया पथ पर 11 जगहों पर कृत्रिम शॉवर (Artificial Shower) लगाता है, ताकि शिवभक्तों को गर्मी से राहत मिल सके.
डिजिटल ईसीजी समेत कई स्वास्थ्य सुविधाएं
कांवरियों को कई तरह की स्वास्थ सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाती है. 3 जगहों नेहरू पार्क, कुकू कॉम्प्लेक्स और बाबा मंदिर ट्रॉमा सेंटर में डिजिटल ईसीजी मशीनें लगाई जातीं हैं. सभी जगहों पर कांवरियों के चिकित्सा की व्यवस्था रहती है. जिला प्रशासन अस्पताल में भी कांवरियों के इलाज की व्यवस्था करता है.
सूचना केंद्र में शिवभक्तों को मिलती है सारी जानकारी
श्रावणी मेले में आए भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो. मेले में चल रही हर गतिविधि की जानकारीउन्हें मिलती रहे, इसके लिए देवघर शहर और उसके आसपास बाकायदा सूचना केंद्र स्थापित किये जाते हैं. पिछली बार 22 सूचना केंद्र बनाए गए थे, जहां से कांवरियों के साथ-साथ आम लोगों को भी आवश्यक सूचना दी जाती थी.
कांवरिया पथ पर विशेष व्यवस्था
देवघर आने वाले श्रद्धालुओं और कांवरियों की सुविधा के लिए डुमनी से खिजुरिया तक करीब 10 किलोमीटर कांवरिया पथ को विशेष रूप से सजाया जाता है. सड़क पर कार्पेट बिछा दिया जाता है, ताकि बाबा नगरी में प्रवेश करने से पहले उनको सुखद अनुभूति हो. गुब्बारे से कांवरिया पथ को सजाया जाता है. प्रशासन की ओर से कांवरियों के लिए 40 रुपये प्रति प्लेट सात्विक भोजन की भी व्यवस्था की जाती है.