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PHOTOS: धनबाद के जोगता में जमींदाेज हुए पिता-पुत्र को तीन युवाओं ने बचाया, गैस रिसाव से हो रही परेशानी

धनबाद के कनकनी कोलियरी अंतर्गत जोगता 11 नंबर एरिया डेजर जोन के रूप चिह्नित है. सोमवार की देर रात जोरदा धमाके के साथ जोगता 11 नंबर में 200 मीटर के दायरे में गोफ हो गया. इस गोफ पिता-पुत्र समा गये, लेकिन समय रहते तीन युवकों ने पिता-पुत्र को बचा लिया.

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कनकनी कोलियरी के जोगता 11 नंबर में 200 मीटर के क्षेत्र में बना गोफ

सिजुआ (धनबाद), इंद्रजीत पासवान : बीसीसीएल सिजुआ क्षेत्र के कनकनी कोलियरी अंतर्गत डेंजर जोन के रूप चिह्नित जोगता 11 नंबर में 200 मीटर के दायरे में गोफ हो गया. जिसमें हनुमान मंदिर सहित एक ही परिवार के तीन लोग जमींदोज हो गये. हालांकि, स्थानीय ग्रामीणों ने सहास का परिचय देते हुए गोफ में समाये एक ही परिवार के तीन लोगों को अपनी जान पर खेलकर बचाने में कामयाब रहे. ग्रामीणों ने गोफ में समाने वाले परिवार को बाहर निकालने के बाद आनन-फानने में पहले निचितपुर नर्सिग होम ले गये, जहां चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए धनबाद रेफर कर दिया. यहां तीनों का इलाज चल रहा है. इधर, गोफ की घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत है. गोफ से भारी मात्रा में हो रहे गैस रिसाव से लोगों का हाल बुरा है.

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जोरदार धमाके के साथ बना गोफ

घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने मुआवजा तथा सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास की मांग को लेकर कनकनी में चल रहे हिल टॉप आऊटसोर्सिग कंपनी का परिवहन कार्य को ठप्प कर दिया . जिससे कंपनी को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड‍़ा है. घटना के संबध में बताया गया कि सोमवार की रात जोगता 11 नंबर बस्ती के लोग जब अपने-अपने घरों में सोये हुऐ थे. तभी मध्य रात्रि को एक जोरदार आवाज हुई. इसके साथ ही पूरे इलाके की बिजली गुल हो गयी. जोरदार आवाज सुनकर लोगों की नींद खुली. अनहोनी की अंशाका पर सभी लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आये.  बाहर आने पर देखा कि चारों तरफ धुआं ही धुआं है. यह सब देखकर लोगों में डर समा गया. किसी ने टॉर्च जलाकर देखा, तो बस्ती में बड‍़ा सा गोफ हो गया.

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तीन युवकों ने गोफ के अंदर समाये तीन लोगों को बचाया

इस गोफ में हनुमान मंदिर के अलावा श्याम भुईयां का घर भी इसमें समा गया. यह मंजर देखकर लोगों में दहशत फैल गया. अफरा- तफरी का माहौल बन गया. अभी लोग कुछ सोच-समझ पाते कि तभी गोफ के अंदर से किसी बच्चे के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनकर कुछ साहसी युवक गोफ के नजदीक गये और आवाज लगाया. लोगों द्वारा आवाज लगाने पर बच्चा जोर-जोर से रोने एवं चिल्लाने के साथ बचाओ-बचाओ की शोर मचाने लगा. आवाज सुनकर तीन युवक अपनी जान की परवाह किये बिना गोफ में छलांग लगा दिया और किसी तरह से गोफ के अंदर दबे श्याम भुईयां, उनका 11 वर्षीय पुत्र अरुण कुमार तथा नौ वर्षीय पुत्र तरुण  को बाहर निकाला. 

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कई लोगों के घर भी हुए जमींदोज

गोफ में जमींदोज होने के कारण श्याम समेत उनके दोनों पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गये थे. गोफ से बाहर निकालने के बाद ग्रामीणों ने आनन-फानन में इलाज के लिए अस्पताल ले गये. वहीं, इस घटना में कारू भुईयां, रामबहादुर भुईयां, घनपत भुईयां, रामप्रवेश भुईयां समेत अन्य का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. अब इनलोगों के पास आवास नहीं है. ये लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. इस पर प्रबंधन ने जल्द से जल्द पुनर्वास कराने और घायल पिता-पुत्र के इलाज में आर्थिक मदद का आश्वासन दिया है.

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तीन युवकों ने जान हथेली पर रखकर गोफ में लगायी थी छलांग

इस घटना में तीन युवकों ने जान हथेली पर रखकर गोफ के अंदर छलांग लगायी, जिससे पिता-पुत्र की जान बच गयी. बताया गया कि जब सभी लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान की खोज में लगे थे. इसी दौरान रामबहादुर भुईयां को गोफ के अंदर एक बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी. बच्चे की आवाज सुनकर रामबहादुर ने गोफ में छलांग लगा दिया और गोफ के मलबे में दबे बच्चे को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दिया. जब सफलता नही मिली, तो उन्होंने सहयोग के लिए अपने साथी जितेंद्र भुईयां तथा विनोद भुईयां को आवाज लगाकर गोफ के अंदर बुलाया. इसके बाद जितेंद और विनोद भी गोफ के अंदर कूद गया. तीनों युवकों ने काफी प्रयास के बाद 11 वर्षीय अरुण कुमार को बाहर निकालने में सफल हुआ. अरुण को बाहर निकालने पर उन्हें पता चला कि गोफ के अंदर मलबे में अरुण का  छोटा भाई तरुण भी दबा है. इसके बाद अंशिक रूप से जख्मी हो चुके तीनों युवकों ने फिर से एक बार अपनी जान हथेली पर रखा उसी गोफ में बच्चे को बचाने के लिए उतर गये.  इस बार मलबे में दबे तरुण को बचा लिया. इसके साथ दोनों बच्चे के पिता श्याम भुइयां को भी बचाया गया. इस घटना के बाद तीनों युवकों की साहसिक कार्य की प्रशंसा खूब हो रही है.

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अगस्त 2017 में भी हुई थी गोफ की घटना

बता दें कि वर्ष 2017 के अगस्त माह में भी यहां बड़ी गोफ जैसी घटना घटित हुई थी. इस घटना में भी एक महिला बाल-बाल बची थी. तब प्रबंधन ने लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास कराने की बजाए गोफ स्थल की भराई कर अपनी जिम्मेवारी से पलड़ा झाड़ लिया था. इसके बाद लोग भी यहां रहने लगे थे . बताया गया कि वर्ष 2017 के अगस्त माह में हुई तेज बारिश के बाद देर रात को इसी गोफ स्थल के समीप बड़ा सा गोफ बन गया था. गोफ बनने के दौरान महेंद्र हाडी कि पत्नी अनिता देवी जमींदोज होने से बाल-बाल बची थी. महिला अपने घर में बने शौचालय में शौच के लिए गयी थी. जैसे ही महिला शौचालय से बाहर निकली तभी जोरदार आवाज के साथ गोफ हो गया. जिसमें पूरा शौचालय जमींदोज हो गया था.

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जोगता 11 नंबर डेजर जोन के रूप में चिह्नित

इस संबंध में प्रबंधक का कहना है कि इस इलाके को डेढ़ दशक पूर्व ही डीजीएमएस तथा बीसीसीएल के सर्वे विभाग ने डेजर जोन के रूप में चिह्नित किया है. जोगता 11 नंबर में आग और गैस तेजी से फैल रहा है. इसलिए जोगता को खाली करने को लेकर कई बार ग्रामीणों को  कंपनी की ओर से नोटिस दिया गया है. इसके बावजूद कोई भी यहां से बस्ती छोड़कर जाने को तैयार नहीं है. यह इलाका अति डेजर जोन हो चुका है. इसलिए लोगों को अपनी जानमाल कि परवाह करते हुए अविलंब बस्ती को खाली कर देना चाहिए. सुरक्षित स्थान के साथ रोजी-रोजगार उपलब्ध कराने की मांग प्रबंधन से की.

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जोगता 11 नंबर में करीब 1500 लोगों की आबादी

बताया गया कि जोगता 11 नंबर में करीब 1500 लोगों की घनी आबादी है. यहां 215 निजी आवास है जबकि कंपनी का पूर्व से 30 आवास है. हालांकि, डेजर जोन की श्रेणी में चिह्नित होने के बाद कंपनी आवास में रह रहे कर्मियों को प्रबंधन दूसरे स्थान पर आवास अंवटित कर उन्हें शिफ्ट कर दिया है. अभी मात्र दो-तीन परिवार ही कंपनी आवास में रहते हैं. उन्हें भी कंपनी की ओर से दूसरे स्थान पर आवास आवंटित कराया गया है. इसके बावजूद ये लोग अभी तक यहां से नहीं गये हैं.

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रोजी-रोजगार की समस्या आ रही सामने

यहां रहने वाले गैर बीसीसीएल कर्मियों को सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए प्रबंधन तथा जरेडा की ओर से कई बार प्रयास भी किया गया, लेकिन रोजी-रोजगार का सवाल उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या पैदा होने के कारण लोग बस्ती खाली नहीं करना चाहते हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि उनके पूर्वज कई दशक से यहां रहते थे. बीसीसीएल प्रबंधन बस्ती के लोगों के लिए अगर सुरक्षित स्थान के साथ-साथ रोजी-रोजगार का संसाधन भी मुहैया कराये, तो वे लोग जाने को तैयार हैं. अन्यथा जान दे देगे, पर बस्ती खाली नहीं करेंगे. ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें सिजुआ इलाके में ही कहीं आसपास पुनर्वास करायी जाए, ताकि उनका रोजी-रोटी चलता रहे.

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नेताओं ने आंदोलन की दी चेतावनी

इस घटना के बाद यहां नेताओं का आवागमन दिनभर जारी रहा. घटना कि जिम्मेदारी प्रबंधन को ठहराते हुए बस्ती के लोगों को अविलंब मुआवजा सहित सुरक्षित स्थान पर बसाने की मांग नेताओं ने प्रबंधन से की है. प्रभात खबर को दूरभाष पर विधायक ढुलू महतो ने बताया कि यह घटना प्रबंधन की लापरवाही का परिणाम है. कहा कि बीसीसीएल प्रबंधन की घोर लापरवाही के कारण ही आग और गैस फैला है. इसलिए प्रबंधन को अविलंब बस्ती के लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाने के साथ-साथ मुआवजा देनी चाहिए. अगर प्रबंधन ऐसा नहीं करता है, तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन किया जायेगा. वहीं, राजद नेता सुखदेव विद्रोही ने कहा कि यह बस्ती तब अस्तित्व में आया था जब बीसीसीएल अपनी नई खदान शुरू किया था. तब हमारे पूर्वजों ने खदान में जी तोड़ मेहनत कर देश को कोयला देने का काम किया था. इसलिए बस्ती खाली कराने से पहले सभी को पुनर्वास के साथ-साथ उचित मुआवजा राशि दी जाये. कांग्रेस नेता विकास सिंह, बीजेपी किसान मोर्चा के जिला प्रभारी सुरेश महतो तथा झामुमो नेता मनोज महतो  ने कहा कि बीसीसीएल को पुनर्वास से पहले मुआवजा राशि कि घोषणा करनी चाहिए.

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