धनबाद.
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से झारखंड मैदान डीएस कॉलोनी में आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी का दिन अपने आप में अनेक आध्यात्मिक नैतिक और सांस्कृतिक पक्षों को समाहित किए हुए है.मां की कृपा से ही सतगुरु से मिलन
बसंत पंचमी का महत्व सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग सभी युगों में रहा है. शास्त्रों में दो प्रकार के ज्ञान का वर्णन है. एक परा ज्ञान और दूसरा अपरा ज्ञान. मां शारदे को परा ज्ञान की देवी कहा गया है. मां शारदे की कृपा के बिना आज तक कोई भी परा विद्या को प्राप्त कर सका है. मां की कृपा से ही जीवन में पूर्ण संत सतगुरु से मिलन होता है. सतगुरु ही हमें वह ज्ञान प्रदान करते हैं, जिससे हम अपने अंतर घट में मां के वास्तविक स्वरूप को जान पाते हैं. जिस प्रकार एक सांसारिक मां बच्चों के भविष्य के निर्माण के लिए कभी तो वात्सल्य लुटाती है तो कभी रौद्र रूप धारण कर लेती हैं. ठीक इसी प्रकार मां शारदे भी अपने भक्तों के लिए अनेक रूप धारण करती हैं जिससे भक्तों का कल्याण हो. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. कथा का समापन छह फरवरी को होगा.
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