सिंदरी.
बीआइटी सिंदरी का 75वें स्थापना दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय प्लेटिनम जुबली समारोह रविवार को संपन्न हो गया. समारोह के अंतिम ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उद्योगों, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज पर पड़ने वाले व्यापक प्रभावों को रेखांकित किया गया. अध्यक्षता एक्योर एआइ के को-फाउंडर आइएम रजा और सीइओ शमशाद अंसारी ने की. आयोजन में मनोज कुमार मंडल और संजीत कुमार जैसे विशेषज्ञ भी शामिल हुए और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रगति तथा इसके प्रभावों पर अपने विचार रखे.‘रोजगार सृजनकर्ता’ विषय पर परिचर्चा :
दूसरे सत्र में ‘रोजगार सृजनकर्ता’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया. इसमें युवाओं को नौकरी ढूढने के बजाय रोजगार सृजनकर्ता बनने के लिए प्रेरित किया गया. इसमें उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया गया. बीआइटी सिंदरी के एल्युमिनाई और सिलिकॉन वैली, कैलिफोर्निया, यूएसए के कंसल्टेंट रमेश यादव ने तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में उद्यमिता के महत्व पर प्रकाश डाला. भारत सरकार के एमओ टेक्सटाइल, मिथिलेश ठाकुर ने इंजीनियरिंग छात्रों की सोच में बदलाव की आवश्यकता पर चर्चा की. कार्यक्रम की शुरुआत बीआइटी सिंदरी के पहले निदेशक डॉ डीएल देशपांडे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गयी. मुख्य अतिथि सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश, साइबर विद्यापीठ के चेयरमैन शशांक शेखर गरुरयार, एनएचपीसी के अध्यक्ष राज कुमार चौधरी, जेयूटी के कुलपति डॉ डीके सिंह, निदेशक डॉ पंकज राय, कैरियर डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन डॉ घनश्याम और डीन एल्यूमिनाई डॉ. प्रकाश कुमार ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किया. निदेशक डॉ. पंकज राय ने विभिन्न एल्यूमिनाई का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.क्या कहते हैं बीआइटी सिंदरी के पूर्व छात्र
केमिकल इंजीनियरिंग 1959 बैच के प्रभात सिन्हा ने कहा कि 1959 में मेरा नामांकन बीआइटी सिंदरी में हुआ था. वर्तमान में अमेरिका में रह रहा हूं. यहां पढ़ाई के दौरान बिताया गया हर पल मेरे जेहन में तरो-ताजा रहा है. 2019 में भी बीआइटी सिंदरी का दौरा किया था. आज यह देखकर देखकर खुशी हुई कि यहां बहुत बदलाव हुआ है. वहीं मेटलर्जी, 1964 बैच के राजेश्वर मिश्रा ने कहा कि 59 साल के बाद अपने इंजीनियरिंग कॉलेज में आया हूं. अब यह काफी बदल गया है. झारखंड सरकार और निदेशक का धन्यवाद करता हूं. यहां से निकलकर चीन, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियर के रूप में काम किया. बीआइटी सिंदरी का छात्र होना ही गर्व की बात है.1968 बैच के श्यामल नंद सहाय ने कहा कि बीआइटी में पढ़ाई पूरी कर यहां तीन साल तक शिक्षण कार्य भी किया. फिर बीएसएल में नौकरी हो गयी. पहले छात्राओं की संख्या कम थी, अब यहां काफी छात्राएं हैं. बीआइटी सिंदरी निरंतर प्रगति करता रहे. हम पूर्व छात्रों जो भी संभव होगा, करेंगे.
इधर प्रोडक्शन 1977 बैच के डॉ. विधा शंकर सहाय जो वर्तमान में आइआइएम जम्मू के चेयरमैन हैं, उन्होंने कहा कि बीआइटी सिंदरी के प्लेटिनम जुबली समारोह में शामिल होना गर्व की बात है. संस्थान ने अब तक 37 हजार इंजीनियर तैयार किए हैं जो देश-विदेश में सेवा दे रहे हैं. 15 साल बाद यहां आया हूं और समारोह के आयोजन समिति का चेयरमैन हूं. झारखंड सरकार से इसे वर्ल्ड क्लास इंस्टिट्यूट बनाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है