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चार बार विधानसभा का चुनाव लड़े, एक बार जीते, मंत्री भी बने

बिहार, झारखंड दोनों विधानसभा के सदस्य रहने का मिला मौका

कोयलांचल में मजदूर नेता के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाले बच्चा सिंह चार बार विधानसभा का चुनाव लड़े. इसमें तीन बार झरिया तथा एक बार बोकारो से विधानसभा चुनाव लड़े. एक बार विधायक बने. संयोग से उसी बार बाबूलाल मरांडी सरकार में नगर विकास राज्य मंत्री भी बने. झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह 70 के दशक में धनबाद आये थे. यहां बीसीसीएल में नौकरी भी करते थे. साथ ही ट्रेड यूनियन की राजनीति में सक्रिय रहे. सूर्यदेव सिंह जो झरिया के विधायक थे ने जनता मजदूर संघ नामक मजदूर संगठन बनाया था. बच्चा सिंह भी अपने भाई के यूनियन से ही मजदूर राजनीति शुरू की. बड़े भाई के निधन के बाद उन्होंने जमसं की कमान संभाली. यूनियन के महामंत्री बने. साथ ही सिंह मेंशन की तरफ से झरिया विधानसभा से उप चुनाव लड़े. लेकिन, उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. फिर 1995 के विस चुनाव में भी श्री सिंह को हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2000 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर बिहार विधानसभा के सदस्य बने. संयोग से वर्ष 2000 में ही 15 नवंबर को अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ. समता पार्टी के सहयोग से भाजपा ने झारखंड में पहली सरकार बनायी. इस सरकार में बच्चा सिंह भी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने.

2004 में सीट बदल कर बोकारो से लड़े

वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में झरिया से सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी चुनाव मैदान में उतरी. उस वक्त बच्चा सिंह ने बोकारो विधानसभा से चुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन, सफलता नहीं मिली. इसके बाद कभी चुनाव नहीं लड़े. हमेशा खुद को मजदूर राजनीति में ही सक्रिय रखा. अंतिम समय तक जमसं (बच्चा गुट) के महामंत्री बने. जमसं को लेकर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई भी लड़े.

डोमिसाइल के मुद्दे पर बच्चा सिंह ने अपने ही सरकार को घेरा था

पूर्व मंत्री बच्चा सिंह ने डोमिसाइल के मुद्दे पर अपने ही सरकार को घेरा था. बाबूलाल मरांडी की सरकार ने जब राज्य में डोमिसाइल नीति लायी थी. तब उनके मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे बच्चा सिंह ने इसका विरोध किया था. समता पार्टी के सभी मंत्रियों ने उनका साथ दिया था. इन मंत्रियों के विरोध के कारण भाजपा ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया था. बाबूलाल मरांडी की जगह अर्जुन मुंडा को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया.

झारखंड के प्रथम नगर विकास मंत्री थे बच्चा सिंह

बच्चा सिंह कभी ‘सिंह मेंशन’ के स्तंभ हुआ करते थे. उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1991 में लड़ा, लेकिन आबो देवी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 1995 में उन्होंने दोबारा झारखंड विधानसभा से अपनी किस्मत आजमायी, लेकिन फिर हार गये. साल 2000 में उन्होंने पहली बार जीत स्वाद चखा और झरिया के विधायक बनें. इसके बाद उन्हें बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बनाया गया. वे झारखंड के प्रथम नगर विकास मंत्री थे.

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