22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धनबाद में 30 फीसदी से अधिक बच्चे कुपोषित, सदर अस्पताल में दो महीने में सिर्फ पांच बच्चों का ही हुआ इलाज

धनबाद जिले में 30 फीसदी से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. इसके बाद भी सदर अस्पताल में दो महीने में सिर्फ पांच बच्चों का ही इलाज हुआ है. डॉ रोहित गौतम ने बताया कि जागरूकता की कमी कुपोषण की बड़ी वजह है.

धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं. ऐसे बच्चों की उचित देखभाल के लिए राज्य सरकार की ओर से जिले के सदर अस्पताल समेत तीन अलग-अलग प्रखंडों में मॉल न्यूट्रिशियन ट्रीटमेंट सेंटर (एमटीसी) का निर्माण किया गया है. यहां कुपोषित बच्चों को भर्ती लेकर उचित चिकित्सा सुविधा के साथ पोषक भोजन मुहैया कराना है. सदर अस्पताल में दो माह पहले एमटीसी की शुरुआत की गई, लेकिन वर्तमान में इस केंद्र की स्थिति खराब है. यहां एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो दो माह में सदर अस्पताल स्थित एमटीसी केंद्र में सिर्फ पांच बच्चों का ही इलाज किया गया. जबकि, जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा है. पूरे राज्य में कुपोषित बच्चों के मामलों में धनबाद 16वें स्थान पर है.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नहीं पहुंच रहे बच्चे
जिले में संचालित एमटीसी के नोडल सह डीआरसीएचओ डॉ रोहित गौतम ने बताया कि कुपोषित बच्चों के नहीं पहुंचने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. सभी स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत इलाकों में कार्यरत सहिया साथी व हेल्थ वर्कर को कुपोषित बच्चों की पहचान कर केंद्र तक लाने का निर्देश दिया गया है. गोविंदपुर, तोपचांची व टुंडी में संचालित एमटीसी में कुपोषित बच्चों की संख्या अच्छी है. सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए टाटा से करार हुआ है. इसके तहत कंपनी अपने संबंधित इलाकों से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर इलाज के लिए सदर अस्पताल स्थित एमटीसी भेजेगी.

जागरूकता की कमी कुपोषण का मुख्य कारण
डॉ रोहित गौतम ने बताया कि जागरूकता की कमी कुपोषण की बड़ी वजह है. मां का दूध अमृत माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कोयलांचल में जन्म के एक घंटे के अंदर सिर्फ 20.1 फीसदी बच्चों को ही मां का दूध मिल पाता है. चिकित्सकों के मुताबिक, जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पीनेवाले बच्चे कई बीमारियों से बच सकते हैं. बच्चों के लिए छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही काफी होता है. जिन बच्चों को शुरू के छह माह तक मां का दूध नहीं मिलता या कम मिलता है, वे कुपोषित, कमजोर और बीमार हो सकते हैं. बाद में ऐसे बच्चे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और एलर्जी संबंधी बीमारियों से भी ग्रसित हो जाते हैं.

ALSO READ: मेडिकल कॉलेज में स्किल लैब तैयार, एसी लगाने के बाद शुरू होगी कक्षा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें