धनबाद में आयोजित दोल उत्सव में बंगाली संस्कृति की झलक देखने को मिली. महिलाओं और बच्चों ने पलाश, गेंदा के फूल और हर्बल गुलाल से होली खेली. धनबाद के राजेंद्र सरोवर बेकारबांध में रविवार (10 मार्च) को आयोजित दोल उत्सव में पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन की तर्ज पर बंगाली संस्कृति की झलक दिखी. इस दौरान रवींद्र संगीत पर नृत्य करते हुए राजेंद्र सरोवर पार्क की परिक्रमा की गयी.
सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं व बच्चियों ने पीली साड़ी में पलाश, गेंदाफूल और हर्बल गुलाल से जमकर होली खेली. विभिन्न नृत्य विद्यालय की छात्राओं ने वसंत पर आधारित रवींद्र नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में भाग लेने वाले सदस्यों के बीच लकी ड्राॅ भी हुआ.
बंगाली समुदाय के दोल उत्सव की संस्कृति को बचाये रखने व इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि सिंफर के पूर्व निदेशक व लिंडसे क्लब के अध्यक्ष अमलेंदु सिन्हा व उनकी पत्नी शर्मिला सिन्हा, धनबाद के पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल व उनकी पत्नी वीणा अग्रवाल उपस्थित थे.
मौके पर बीबीएमकेयू के बांग्ला विभागाध्यक्ष शर्मिला बनर्जी, आर्ट एंड कल्चर की हेड ताप्ति चक्रवर्ती, बंगाली कल्याण समिति के सचिव कंचन दे, बंगाली वेलफेयर सोसाइटी के सचिव गोपाल भट्टाचार्य, वार्ड नंबर 25 के पार्षद प्रिय रंजन, कवि तपन राय, दुर्गा मंदिर रीलिजियस चैरिटेबल ट्रस्ट की बरनाली सेनगुप्ता, झारखंड बांग्ला भाषा ऑनलाइन समिति से रीना मंडल, हेमंत मंडल आदि मौजूद थे.
सभी अतिथियों का स्वागत महिलाओं व बच्चों ने फूल व हर्बल गुलाल लगाकर किया. मंच संचालन सुवर्णा बनर्जी ने किया. कुशन सेनगुप्ता के रविंद्र संगीत ’रांगिए दिये जाओ’ पर सभी टीमों ने अतिथियों को लेकर नृत्य किया.
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर आरती साव, शंपा सरकार, संजय सेनगुप्ता, नूपुर, दीपा, तनु, संतोष सील, गौरव मोदक, पोंपा पाल, संतोष दास, दिलीप, सुब्रत दे, अनन्या, सानिया, राजकुमार सिंह, सुभोजित घोषाल, छोटू साव, विनोद, देवव्रत, रोहित, ऋषि का सक्रिय योगदान रहा.