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DHANBAD NEWS : झारखंड स्कूल इनोवेशन चैलेंज के ग्रैंड फिनाले में पहुंचे राज्य भर के स्कूलों के बच्चे

आइआइटी आइएसएम द्वारा आयोजित इस इवेंट में जूनियर और सीनियर श्रेणी के फाइनल में पहुंचे हैं 19 स्कूल, आम जीवन से जुड़ी समस्याओं का तलाश रहे वैज्ञानिक समाधान, रैट माइनर्स का बेहतर विकल्प होगा माइंस रक्षक बोट

आइआइटी आइएसएम द्वारा आयोजित झारखंड स्कूल इनोवेशन चैलेंज 2024 का फिनाले राउंड शुरू हो गया है. इस वर्ष यह प्रतियोगिता दो श्रेणियों में हो रही है. सातवीं से 10वीं कक्षा तक के बच्चे जूनियर श्रेणी में हिस्सा ले रहे हैं. इस श्रेणी में पूरे राज्य से 10 स्कूल हिस्सा ले रहे हैं. इनमें धनबाद के तीन स्कूल दिल्ली पब्लिक स्कूल धनबाद, डीएवी पब्लिक स्कूल कोयलानगर, डी-नोबिली स्कूल मुगमा की टीम शामिल हैं. इनके साथ ही जमशेदपुर व पूर्वी सिंहभूम की तीन टीमों ने भी फिनाले के लिए क्वाविफाई किया है. इनमें केरला समाजम मॉडल स्कूल जमशेदपुर, केरला समाजम मॉडल स्कूल जमशेदपुर और काशीडीह हाई स्कूल जमशेदपुर शामिल हैं. वहीं अन्य टीमों में दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो, जीएम डिस्ट्रिक्ट सीएम स्कूल ऑफ एक्सलेंस रामगढ़, संत नंदलाल समिति विद्या मंदिर घाटशिला और महेन्द्र मुनि सरस्वती शिशु विद्या मंदिर – मधुपुर की टीम शामिल है.

सीनियर वर्ग में नौ टीम :

सीनियर वर्ग में 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों शामिल हैं. इस श्रेणी में फिनाले के लिए नौ टीमों ने क्वालिफाई किया है. इन टीमों में पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय – रांची, गुरु गोविंद सिंह पब्लिक स्कूल – रांची, केरला समाजम मॉडल स्कूल – पूर्वी सिंहभूम, कैराली स्कूल – रांची, डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल, जमेशदपुर, दिल्ली पब्लिक स्कूल – बोकारो, जेएच तारापुर स्कूल-धतकीडीह (जमशेदपुर), उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय-बर्मामाइंस (जमशेदपुर) और धनबाद पब्लिक स्कूल केजी आश्रम की टीम शामिल हैं. संस्थान में रह कर डेवलप कर रहे हैं प्रोटोटाइपफिनाले में पहुंची सभी टीम पिछले 24 सितंबर से संस्थान में रह कर अपने प्रोजेक्ट का प्रोटोटाइप अपने गाइड की निगरानी में डेवलप कर रहे हैं. प्रोटो टाइप डेवलप करने में आइआइटी के विशेषज्ञ भी मदद कर रहे हैं. शनिवार को फिनाले में पहुंची टीमों द्वारा अपने मॉडल को पहली बार प्रदर्शित किया गया.

माइंस रक्षक बोट

जूनियर वर्ग में क्वालिफाइ करने वाली कोयलानगर की टीम ने उत्तराखंड के जोशीमठ सुरंग हादसे प्रेरित होकर माइंस रक्षक बोट डेवलप किया है. यह बोट छोटे सुरंगों में खनन करने वाले रैट माइनर्स का बेहतर विकल्प हो सकता है. यह स्वचालित बोट भू-धंसान और भूकंप के बाद मलबे में फंसे लोगों की तलाश में मददगार साबित होगा. यह मलबे में फंसे लोगों को मलवे में नीचे मौजूद लोगों को कॉर्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन की मदद से पता लगाता है. इसे डेवलप करने वाली टीम के सदस्यों में 10वीं के छात्र आयुष राज, अभिषेक कुमार और सम्राट बोस सदस्य हैं.

माइंनर्स सेल्फ मॉनिटरिंग सिस्टम

इस श्रेणी में क्वालिफाइ करने वाली दिल्ली पब्लिक स्कूल टीम ने भूमिगत खदानों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य पर नजर रखने वाला डिवाइस माइनर्स सेल्फ मॉनिटरिंग सिस्टम डेवलप किया है. यह सिस्टम बैंड में फिट किया जायेगा. यह बैंड मजदूर अपने हाथों में लगायेंगे. यह बैंड मजदूरों के स्वास्थ्य की रीयल टाइम मॉनिटरिंग करेगा. यह बैंड मजदूरों के पल्स, शरीर के तापमान और वातावरण में आद्रता पर अपने सेंसर की जरिये नजर रखेगा. अगर मजदूरी का स्वास्थ्य खराब होता है, तो माइंस के कंट्रोल रूम में सूचित कर देगा. खदान के अंदर मजदूर की तबीयत खराब है और इस वक्त वह खदान में कहां है यह बता देगा. इससे उस तक फौरन मदद पहुंच जायेगी. इस टीम में नौवीं के छात्र प्रियांशु घोष, अर्पण घटक और आदित्य शामिल हैं.

ऑटोमोबाइल प्रेसिपिटेटर

जमशेदपुर की काशीडीह हाइस्कूल की टीम ने ऑटोमोबाइल प्रेसिपिटेटर डेवलप किया है. यह यंत्र वाहन के साइलेंसर में लगाया जायेगा. प्रेसिपिटेटर वाहन के धुएं से निकलने वाले खतरनाक पीएम 2.5 को फिल्टर कर लेता है. इससे यह खतरनाक कार्बन हवा में नहीं पहुंच पाता है. ऑटोमोबाइल प्रेसिपिटेटर वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने में सक्षम है. इस टीम में शुभम और हर्ष कुमार शामिल हैं.

ग्रीन स्मार्ट सिटी

महेन्द्र मुनि सरस्वती शिशु विद्या मंदिर मधुपुर की टीम ने ग्रीन स्मार्ट सिटी तैयार किया है. इस ग्रीन स्मार्ट सिटी में वायु प्रदूषण को शून्य रखने की क्षमता है. इसके साथ ही पूरी ग्रीन एनर्जी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं. स्मार्ट सिटी में डस्टबीन भी स्मार्ट है. यह भरते ही नगर निगम को खुद सूचित कर देगा कि वह भर गया है. हर कचरा को रिसाइकल कर फिर से उपयोग में लगाया जा सकता है. सड़कों पर लगे सेंसर हादसे को रोकने में समक्ष होंगे. इस स्मार्ट सिटी का मॉडल तैयार करने वाले छात्रों की टीम में अमीत कुमार दास, अरिजीत राज और रूपेश रंजन शामिल हैं.

अंतरिक्ष में सौर पैनल

सरदार वल्लभ भाई पटेल हाई स्कूल की टीम ने स्टेलर सौर पैनल तैयार किया है. यह सौर पैनल अंतरिक्ष में स्थापित होगा. यह सौर पैनल सूरज से निकलने वाले एक्स रे, गामा रे और अल्ट्रा वॉलेट रे से ऊर्जा बनाने में सक्षम है. यह स्टेलर सोलर पैनल पूरी तरह से वायरलेस होगा. अंतरिक्ष से वायरलेस सिस्टम के जरिये एकत्र बिजली को पृथ्वी पर बैटरी में ट्रांसफर कर देगा. इस टीम में अयंक राज, आयुष हेंब्रम और रजनिश कुमार शामिल हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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