सिंदरी (धनबाद), अजय उपाध्याय: 16 नवंबर 1963. यह वह दिन है जब मशहूर अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि की किलकारी गूंजी थी. स्थान था धनबाद जिले के सिंदरी स्थित संयुक्त बिहार का उस समय का सबसे बड़ा अस्पताल. यह अस्पताल भारतीय उर्वरक निगम के सिंदरी स्थित खाद कारखाने के द्वारा संचालित था. तमिलनाडु की रहने वाले शशिकला उर्फ मीनाक्षी शेषाद्रि के पिता इसी खाद कारखाने में कर्मचारी थे और सिन्दरी के रोराबन्ध इलाके के एफ टाइप आवास में रहते थे. मीनाक्षी की नानी का परिवार डी आवास में रहता था. खाद कारखाने के बंद होने के बाद 15 जनवरी 2003 को इस अस्पताल को बंद कर दिया गया था, तब से यह अस्पताल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है.
कब बना था अस्पताल
आजादी के बाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने 9 जनवरी 1953 को इस अस्पताल की आधारशिला रखी थी, जबकि 19 जुलाई 1956 को उत्पादन मंत्री के सी रेड्डी द्वारा उद्घाटन किया गया था. वहीं वर्ष 1993 में नवजात शिशु के लिए भारत का पहला आईसीयू सेंटर इसी हॉस्पिटल में खोला गया था.
क्या थी अस्पताल की व्यवस्था
लगभग 6 एकड़ में फैला यह अस्पताल आधुनिक सुविधाओं से लैस था, उस समय में सर्जिकल वार्ड महिला वार्ड, मर्चरी और विदेशी डॉक्टरों के आवागमन की भी यहां व्यवस्था थी. 205 बेड के इस अस्पताल में लिफ्ट की सुविधा वर्ष 1953 में उपलब्ध करा दी गई थी.
क्यों बंद हुआ अस्पताल
31 दिसंबर 2002 को एफसीआईएल खाद कारखाना बंद होने के बाद 15 जनवरी 2003 को बंद कर दिया था, कोरोना के दौरान धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने इसे खोलने का प्रयास किया था. वहीं वर्ष 2023 में उर्वरक निगम ने इसके संचालन का जिम्मा लायंस क्लब को सौंपा. लायंस क्लब इसे फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहा है.
Also Read : Jharkhand Weather : झारखंड में जल्द मिलेगी गर्मी से राहत, संताल के रास्ते इस दिन प्रवेश करेगा मानसून