आइआइटी आइएसएम के प्रो सुमंता कुमार पाधी और उनकी टीम ने कॉर्बन डाइऑक्साइड ( सीओ2) को मूल्यवान ईंधन और रासायनिक फीडस्टॉक्स में बदलने की दिशा में एक अहम खोज की है. उनकी इस खोज को यूरोप के प्रतिष्ठित जनरल ‘केमिस्ट्री: ए यूरोपियन जर्नल’ ने अपने कवर पर प्रकाशित किया है. प्रो पाधी और उनकी टीम को मिली सफलता पर आइआइटी प्रबंधन ने हर्ष व्यक्त किया है. इस शोध में बताया गया है कि वैश्विक सीओ 2 उत्सर्जन पिछले तीन दशकों में दोगुना हो गया है और 2040 तक इसके तीन गुना होने का अनुमान है. यह समस्या जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट को गंभीर बना रही है. इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रो पाधी की टीम ने इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीक का उपयोग करते हुए सीओ 2 को सिंगास में बदलने के लिए कॉपर-आधारित आणविक उत्प्रेरक विकसित किया है. सिंगास एक उपयोगी फीडस्टॉक है, जिसे ईंधन और रसायनों में परिवर्तित किया जा सकता है. शोध टीम ने डिपिकोलिनेट फ्रेमवर्क के साथ डिजाइन किये गये दो नये कॉपर कॉम्प्लेक्स विकसित किये हैं. ये कॉम्प्लेक्स इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर को बढ़ावा देकर सीओ2 कटौती को अधिक प्रभावी बनाते हैं.
कॉपर कॉम्प्लेक्स का एक नया डिजाइन पेश :
प्रो पाधी ने अपनी खोज के संबंध में बताया कि उनकी टीम ने कॉपर कॉम्प्लेक्स का एक नया डिजाइन पेश किया गया है, जिसमें डिपिकोलिनेट फ्रेमवर्क और रेडॉक्स-एक्टिव लिगैंड्स का उपयोग किया गया है. यह डिजाइन सीओ 2 कटौती की दक्षता को बढ़ाता है और ऊर्जा रूपांतरण में एक नयी दिशा प्रदान करता है. यह शोध सतत ऊर्जा प्रणाली विकसित करने और बढ़ते उत्सर्जन के प्रभावों से निबटने में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह खोज विज्ञान और पर्यावरण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. यह खोज सीओ2 को एक सस्ते और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कार्बन स्रोत के रूप में उपयोग करने लायक बनाने में सक्षम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है