धनबाद, मनोज रवानी : झारखंड के बराकर नदी से कुछ दूरी पर स्थित गुणकारी गर्म कुंड लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी वजह है कि लोग यहां के पानी का सेवन कर चर्म रोग से मुक्ति पा ले रहे हैं. इसके अलावा पेट खराब की समस्या से भी छुटकारा पा लेते हैं. मौजूदा स्थिति ये है कि यहां कड़ाके की ठंड में भी लोग नहाने का आनंद उठाते लोग मिल जायेंगे.
सालों भर गर्म रहता है यहां का पानी
यह गर्म कुंड धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड की जाताखूंटी पंचायत अंतर्गत चरक खुर्द में स्थित है. चरक खुर्द टुंडी मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर है. ग्रामीण श्रीनाथ प्रसाद सिंह ने बताया कि उनके पूर्वज राजा रहे हैं. राजा बैकुंठ नारायण के जयेष्ठ पुत्र दिलबरन सिंह चरक आये थे. उनकी आठवीं पीढ़ी श्रीनाथ प्रसाद हैं. उनको चार पुत्र हैं. बड़े चंद्रशेखर सिंह, दूसरे स्वर्गीय ब्रजेंद्र कुमार सिंह उर्फ मांझो सिंह, तीसरे अरुण कुमार सिंह और चौथे नवीन चंद्र सिंह. 1996 में तत्कालीन विधायक डॉ सबा अहमद के सहयोग से कुंड की घेराबंदी करायी गयी थी. बताया जाता है कि इस कुंड से सालों भर गर्म पानी आता है.
स्कूल के चापाकल से भी आता है गर्म पानी
गांव के प्राथमिक विद्यालय में दो चापाकल है. दोनों चापाकल से भी गर्म पानी आता है. यह पानी इतना गर्म होता है कि इसे तुरंत हाथ में नहीं लिया जा सकता. चापाकल से पानी निकलने के बाद उसे थोड़ी देर छोड़ना पड़ता है, तब वह सामान्य तापमान पर आता है. स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि किसी को अपच हो, तो दो घूंट पानी ही ठीक करने के लिए काफी है. यही नहीं, अगर किसी को चम रोग है, तो गर्म कुंड के पानी से नहाने पर भी चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है. दूर‐दूर से लोग यहां नहाने के लिए आते हैं. इसी पानी का असर है कि गांव में किसी को चर्म रोग नहीं होता है.
सल्फर या जियो थर्मल ग्रेडिएंट के कारण आता है गर्म पानी
बीबीएमकेयू में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि प्राकृतिक हॉट स्प्रिंग के पास जमीन के अंदर प्रचुर मात्रा में सल्फर मौजूद होता है. इस कारण या फिर जियो थर्मल ग्रेडियंट के कारण पानी 24 घंटे गर्म निकलता है. सल्फर युक्त पानी को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. यह त्वचा रोगों, जोड़ों के दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में सहायक हो सकता है. सल्फर स्वयं गर्मी उत्पन्न नहीं करता, लेकिन भू-तापीय प्रक्रियाओं और गैसों के माध्यम से जल-स्रोत को गर्म करने में योगदान देता है. वैसे जांच होने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है.