धनबाद.
धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) के मरीजों का हाल बेहाल है. ठंड में मरीज ठिठुर रहे हैं, लेकिन विभाग के लोगों को इसकी कोई परवाह नहीं है. एक तरफ सरकार गरीबों को सभी तरह की सुविधा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एसएनएमएमसीएच प्रबंधन को इससे कोई लेना देना है. ऐसे में कई वार्ड में भर्ती मरीजों को रात भर ठंड में ठिठुरना पड़ रहा है.अधिकतर मरीजों को नहीं मिला है चादर-कंबल :
बुधवार की रात प्रभात खबर की टीम मेल मेडिसिन विभाग पहुंचीं. यहां सभी बेड पर मरीज मौजूद थे और उनके साथ एक एटेंडेंट भी थे, लेकिन मरीजों से बातचीत के बाद पता चला कि इसमें अधिकतर मरीजों को न तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा चादर मुहैया करवाया गया था और न ही उन लोगों को कंबल ही मिला था. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. जबकि मरीज तो बेड पर बिना चादर-कंबल के इलाज करवा रहे थे.कॉरिडोर में सोने को मजबूर जच्चा-बच्चा :
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में जच्चा और बच्चा का विशेष ख्याल रखा जाता है, लेकिन अस्पताल के इस विभाग में जच्चा बच्चा कॉरिडोर में मिले. देखा गया कि लगभग आधा दर्जन से ज्यादा महिलाएं अपने नवजात बच्चे को लेकर कॉरिडोर में सोयी हुई हैं. खुले में रहने के कारण वहां चारों तरफ से ठंडी हवाएं आ रही हैं. ठंड का असर जच्चा और बच्चे की सेहत पर पड़ रहा है, लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं है.मरीजों ने कहा
सन्नी हेंब्रम, गोमो : अपने घर से चादर और कंबल लेकर आये हैं, तभी रात कट रही है. विभाग द्वारा कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवायी जा रही है.
राहुल कुमार, हीरापुर : सरकार द्वार मरीजों के लिए सभी तरह की सुविधा मुहैया करायी जाती है, लेकिन कई बार मांगने के बाद भी विभाग के लोग देने को तैयार नहीं होते हैं.कुल्लू तुरी, धनबाद :
मैं तो बेड पर इसी तरह से पड़ा हुआ हूं. न चादर है और न कंबल, ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं. पहले से पता रहता तो घर से कंबल-चादर लेकर आ जाता.समीर, चितरंजन :
जब अस्पताल प्रबंधन ने कंबल-चादर नहीं दिया तो मैंने अपने घर से कंबल और चादर मंगवाया है. आखिर इलाज कराने आये हैं, बीमार पड़ने नहीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है