संजीव झा, धनबाद: धनबाद वाणिज्यकर प्रमंडल में राज्य-कर विभाग के अधिकारी अब बिना पूर्वानुमति के किसी तरह की जांच नहीं कर पायेंगे. राज्य-कर विभाग धनबाद प्रमंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. इससे राज्य कर विभाग को रोड पर वाहनों की जांच से जुर्माना के रूप में 25 लाख रुपये की सालाना राजस्व वसूली का लक्ष्य प्रभावित होना तय माना जा रहा है.
साथ ही, जीएसटी की धारा 68 के तहत प्रदत शक्तियों को लेकर भी उलझन होने लगी है. सूत्रों के अनुसार, राज्य-कर विभाग धनबाद प्रमंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) मनोज कुमार की तरफ से जारी आदेश संख्या-75, दिनांक-18.08.2023 के तहत कोई भी अधिकारी अब वाहन जांच एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निरीक्षण नहीं कर पायेगा.
इसके लिए अब अधोहस्ताक्षरी यानी अपर आयुक्त की अनुमति आवश्यक होगी. विशेष परिस्थिति में सक्षम पदाधिकारियों के आदेश से वाहनों का चलंत निरीक्षण किया जा सकता है. वैसी स्थिति में भूतलक्षी प्रभाव से अपर आयुक्त से सभी अंचल प्रभारियों को अनुमति लेनी होगी. व्यवसाय स्थल के भौतिक सत्यापन के लिए पदाधिकारी ऑनलाइन टैक्स जनरेट कर जांच कर सकेंगे. धनबाद वाणिज्यकर प्रमंडल में चिरकुंडा, बोकारो, कतरास, धनबाद एवं नागरीय अंचल हैं.
ट्रांसपोर्टिंग में लगे वाहनों की जांच का अधिकार जीएसटी, परिवहन एवं खनन विभाग को है. खासकर कागजातों की. लेकिन धनबाद जिला में राज्य-कर विभाग द्वारा कभी कोयला लदे वाहनों को नहीं पकड़ा जाता, जबकि एक अनुमान के अनुसार यहां से प्रतिदिन एक से 150 ट्रक कोयला फर्जी जीएसटी बिल पर निकल रहा है. इससे राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. रोड पर वाहनों की जांच से 25 लाख रुपये सालाना राजस्व वसूली का लक्ष्य भी प्राप्त नहीं हो रहा है. पिछले कुछ माह से राज्य-कर विभाग के अधिकांश अधिकारी सड़कों पर जांच के लिए नहीं निकल रहे हैं. इससे फर्जी कारोबारियों का मनोबल बढ़ रहा है. हालांकि, केंद्रीय जीएसटी विभाग के अधिकारी बीच-बीच में वाहनों की जांच के लिए निकल रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार, एकतरफ पूरे देश में अभी फर्जी जीएसटी निबंधन पर रोक के लिए अभियान चल रहा है. दूसरी तरफ, धनबाद जिला में बंदिशें लगायी जा रही हैं. यह जीएसटी की धारा 68 के विपरीत है. सूत्रों के अनुसार, जीएसटी की धारा 68 के तहत केंद्रीय एवं राज्य-कर विभाग के अधिकारियों को नियमित रूप से वाहनों की जांच करनी है. खासकर वैसे वाहनों की, जिनसे खनिज पदार्थों की ढुलाई होती है. अभी लगभग 90 फीसदी वाहनों से फर्जी जीएसटी नंबर के जरिये कोयला-लोहा की ढुलाई हो रही है. जीएसटी का अधिकांश फर्जी नंबर सेंट्रल जीएसटी के जरिये ही जनरेट हो रहा है.