वरीय संवाददाता, धनबाद.
आइआइटी आइएसएम के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर की ऊर्जा दक्षता को काफी बढ़ाने की नयी तकनीक विकसित की है. यह मशीन खनन, निर्माण और कृषि जैसे उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है. इस नयी तकनीक से एक्सकेवेटर बूम के संचालन के दौरान खोई हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त कर लेता है और उसका पुनः उपयोग करता है, जिससे कुल ऊर्जा खपत में कमी आती है. शोधकर्ताओं की इस टीम में प्रो निरंजन कुमार, प्रो अजीत कुमार, और प्रो एसके घोषाल के नेतृत्व में किए गए इस शोध पर काम किया गया था. नयी तकनीक एक हाइड्रोलिक ऊर्जा पुनःप्राप्ति प्रणाली पर है, जो एक्सकेवेटर बूम के नीचे जाते समय उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा को पकड़ती है. इस ऊर्जा को हाइड्रोलिक ऊर्जा में बदल कर एक एक्यूम्युलेटर में संग्रहीत किया जाता है, जिसे बाद में बूम को उठाने की प्रक्रिया के दौरान पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे मशीन की कुल ऊर्जा खपत में उल्लेखनीय कमी आती है.मशीन की दक्षता को बढ़ती है नयी प्रणाली
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प्रमुख शोधकर्ता प्रो निरंजन कुमार बताते हैं कि अभी पारंपरिक हाइड्रोलिक सिस्टम, विशेषकर बूम के नीचे जाने के दौरान, काफी ऊर्जा की हानि होती है. जबकि हमारी प्रणाली में एक तीन-कक्ष सिलिंडर, हाइड्रोलिक इंटेंसिफायर, और एक्यूम्युलेटर शामिल हैं, जो खोई हुई ऊर्जा को सीधे पुनः प्राप्त करता है और उसका पुनः उपयोग करता है. यह न केवल मशीन की दक्षता को बढ़ाता है, बल्कि इसे जटिल अतिरिक्त घटकों की आवश्यकता के बिना ही संचालित करता है.नयी तकनीक से ऊर्जा खपत में आती है 20 से 30 प्रतिशत की कमी :
प्रो अजीत कुमार बताते हैं कि नयी तकनीक हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर की ऊर्जा खपत में 20 से 30 प्रतिशत तक की कटौती कर सकती है. यह तकनीक हाइड्रोलिक सिस्टम के डिजाइन और संचालन में एक महत्वपूर्ण बदलाव है. शोध टीम अब इस तकनीक को और विकसित करने और व्यवसायीकरण के लिए औद्योगिक भागीदारों की खोज कर रही है, ताकि इसे विभिन्न प्रकार की मोबाइल मशीनरी में व्यापक रूप से उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है