धनबाद.
आइआइटी आइएसएम के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की चार सदस्यीय टीम को गंभीर दिव्यांगता वाले मरीजों के लिए प्न्युमेटिक मेडिकल बेड विकसित करने पर गांधी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड (जीलाइटीआइ) 2023 से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड इनिशिएटिव्स फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजिज एंड इंस्टीट्यूशन्स द्वारा दिया गया. टीम को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मानित किया गया है. समारोह में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, सीएसआइआर के पूर्व महानिदेशक आरए माशेलकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग की पूर्व सचिव रेणू स्वरूप, एआइसीटीइ के अध्यक्ष प्रो. टीजी सीतारामन, आइआइटी दिल्ली के डीन प्रो. पीवीएम राव आदि शामिल थे. प्न्युमेटिक मेडिकल बेड विकसित करने वाली टीम को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जफर आलम गाइड कर रहे थे. यह बेड गंभीर विकलांगता वाले मरीजों के लिए इइजी-सिग्नल पर काम करता है. यह डिवाइस दो लाख रुपये की लागत से विकसित किया गया था, जो संस्थान के नवाचार हब एनवीसीटीआइ से प्राप्त हुआ था. 2021-22 के बीच विकसित यह डिवाइस स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में मरीजों के लिए नर्सिंग लोड को कम कर मेडिकल प्रबंधन को अधिक कुशल बनाने में मदद करेगा. इस टीम में शोधकर्ता आशीष सिद्धार्थ व अन्य छात्र यल्ला मार्क विशाल, इनामपुरी साई अमित और मनमोहन लभ शामिल हैं. शोधार्थी आशीष सिद्धार्थ ने बताया कि विकसित मॉडल प्न्युमेटिक एक्ट्यूएटेड मेडिकल बेड को इच्छित स्थिति में नियंत्रित करता है. ये प्न्युमेटिक एक्ट्यूएटर्स हवा को तरल माध्यम के रूप में उपयोग करते हैं और इसकी संपीड़नशीलता के कारण एक कुशनिंग प्रभाव उत्पन्न होता है, जो प्रणाली को एक अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है