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Dhanbad News: गोल्डेन आवर में मिले इलाज, तो बच सकती है मरीज की जान

सड़क दुर्घटना हो या फिर कार्डियक अटैक, अगर मरीजों को गोल्डन आवर में इलाज मिल जाये, तो उनकी जान बच सकती है. सदर अस्पताल में बुधवार को ट्रामा मैनेजमेंट ट्रेनिंग दी गयी.

धनबाद.

सड़क दुर्घटना हो या फिर कार्डियक अटैक, अगर मरीजों को गोल्डन आवर में इलाज मिल जाये, तो उनकी जान बच सकती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है ट्रामा मैनेजमेंट ट्रेनिंग. इसकी ट्रेनिंग बुधवार को सदर अस्पताल में दी गयी. शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ डीपी भूषण और एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पीयूष सेंगर ने अस्पताल के कर्मचारियों को जरूरी जानकारी के साथ ट्रेनिंग भी दी. ट्रेनिंग में रोड साइड व रोड साइड से आने वाले मरीजों का प्राथमिक उपचार कैसे करना है, इसकी जानकारी दी गयी. डॉ पीयूष सेंगर ने बताया कि सदर अस्पताल धनबाद, जामताड़ा व बोकारो में ट्रेनिंग देनी है. बोकारो के अस्पताल में सबसे बेहतर व्यवस्था थी. यहां मॉड्यूलर ओटी है, जो हर अस्पताल में होना चाहिए. इससे ट्रामा के केस में फायदा मिलता है.

सीपीआर की दी गयी ट्रेनिंग

सड़क दुर्घटना के बाद मरीज के रिस्पांस नहीं करने या कार्डियक अटैक आने पर गोल्डेन आवर में इलाज मिलना चाहिए. इसमें सीपीआर का अहम योगदान रहता है. साथ ही मरीज को दर्द से राहत देना जरूरी होता है. जितनी जल्द हो सके उसे इलाज मिलना चाहिए. डॉ डीपी भूषण ने कहा कि आधारभूत संरचना का आकलन कर इसकी रिपोर्ट तैयार करनी है. मौके पर सदर अस्पताल के नोडल डॉ राजकुमार सिंह, आर्थो विभाग के डॉ मुकेश, डॉ हरेंद्र समेत अन्य मौजूद थे.

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