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दुमका में हाईकोर्ट की बेंच की मांग को लेकर धरने पर बैठे अधिवक्ता

राज्य सरकार की ओर से विधानसभा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में उत्तर भी दिये गये थे. सरकार की ओर से 5 अगस्त 2014 को दिये गये उत्तर में बताया गया है कि उपायुक्त दुमका के पत्रांक 32, दिनांक 8 जनवरी 2012 का भी जिक्र है.

दुमका : उपराजधानी दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. देवघर विधायक द्वारा हाईकोर्ट बेंच दुमका की बजाय देवघर में स्थापित किये जाने की मांग किये जाने पर हाईकोर्ट बेंच निर्माण संघर्ष समिति ने आंदोलनात्मक रुख एक बार फिर से तेज किया है. बुधवार को जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले दुमका के अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर में धरना दिया. इसके बाद राज्यपाल के नाम प्रेषित एक स्मार पत्र जिला प्रशासन को सौंपा. संघ की ओर से आयोजित धरना में झामुमो के वरिष्ठ नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान में महेशपुर के विधायक प्रो स्टीफन मरांडी भी शामिल हुए और उपराजधानी दुमका में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित करने से संबंधित अधिवक्ता संघ की मांग का पुरजोर समर्थन किया. संघ के अध्यक्ष निशिकांत प्रसाद, उपाध्यक्ष कमल किशोर झा और महासचिव राकेश कुमार के नेतृत्व में आयोजित धरना कार्यक्रम में झामुमो विधायक प्रो स्टीफन मरांडी ने कहा कि बिहार पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 25(3) में झारखंड उच्च न्यायालय का खंडपीठ स्थापित किये जाने का प्रावधान किया गया है. इसी आलोक में उनके उप मुख्यमंत्रित्व काल में दुमका में खंडपीठ स्थापित करने के मद्देनजर बंदरजोरी मौजा में 13.84 एकड़ जमीन चिह्नित कर अधिग्रहण की कार्रवाई करने के साथ मुआवजा भी दिया जा चुका है तथा चिन्हित वन भूमि के एवज में दिये जाने वाले भूमि को भी चिह्नित कर लिया गया है. इसको लेकर शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन द्वारा 2014 में विधानसभा में ध्यान आकृष्ट कराया गया था.

संघर्ष समिति के आंदोलन में साथ दिखे महेशपुर विधायक प्रो स्टीफन मरांडी

राज्य सरकार की ओर से विधानसभा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में उत्तर भी दिये गये थे. सरकार की ओर से 5 अगस्त 2014 को दिये गये उत्तर में बताया गया है कि उपायुक्त दुमका के पत्रांक 32, दिनांक 8 जनवरी 2012 का भी जिक्र है, जिसमें उक्त भूखंड को लेकर भवन निर्माण विभाग झारखंड सरकार को अग्रेतर कार्रवाई हेतु सूचित किये जाने की जानकारी दी गयी है. वहीं राज्य सरकार की ओर से सदन को बताया गया था कि भारत के संविधान में दिये गये प्रावधान के अनुसार झारखंड उच्च न्यायालय की बेंच की स्थापना से संबंधित निर्णय लेने हेतु केंद्र सरकार ही सक्षम है. यह संघ सूची का विषय है. उन्होंने कहा कि इसके बाद 2015 में भी झारखंड विधानसभा से सर्वसम्मति से उच्च न्यायालय की बेंच दुमका में स्थापित करने से संबंधित प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. इसके बावजूद दुमका में जमीन उपलब्ध नहीं होने पर हाईकोर्ट की बेंच अन्यत्र स्थापित करने को लेकर सवाल उठा कर दुमका समेत संताल परगना के लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है. यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने अधिवक्ताओं को विश्वास दिलाया कि दुमका में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने के संबंध में वे शीघ्र ही राज्य के मुख्यमंत्री से मिलकर यहां की जनभावना से उन्हें अवगत करायेंगे. उन्होंने कहा कि दुमका में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने के मसले पर उनकी पार्टी कृतसंकल्पित है. इसके लिए वे और उनकी पार्टी जिला अधिवक्ता संघ के साथ है. इससे पहले धरना स्थल पर संघ के पदाधिकारियों के साथ कई अधिवक्ताओं ने अपने संबोधन में जमीन का बहाना बना कर झारखंड हाईकोर्ट की बेंच दुमका के बदले अन्यत्र स्थापित को लेकर मांग करने वाले देवघर के विधायक नारायण दास और सरकार की ओर से इस संबंध में जवाब देने वाले संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के हाल के बयान पर गहरा रोष प्रकट किया. बाद में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष निशिकांत प्रसाद, उपाध्यक्ष कमल किशोर झा, महासचिव राकेश कुमार, संयुक्त सचिव सोमनाथ डे, कोषाध्यक्ष विमलेन्दु कुमार, सहायक कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार, मनोज कुमार मिश्रा, त्रिपुरारी कुमार, संजय झा, भीम मंडल, अखलाक अहमद, शमशाद अंसारी, दिलीप कुमार तिवारी, सुनील कुमार झा, मिथिलेश कुमार झा, नरेश प्रसाद, प्रेम गुप्ता, राजन कुमार घोष, शिवशंकर चौधरी, अरुण साह, प्रीति झा, मीलू रजक, ज्योति कुमारी सहित काफी तादाद में शामिल अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को संबोधित मांग पत्र जिला प्रशासन को सौंपा.

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