रानीश्वर. सदर प्रखंड के रानीबहाल चड़कतला में बुधवार को धूमधाम से चड़क पूजा की गयी. मंगलवार की रात को ही विभिन्न गांवों से भक्त पहुंच चुके थे. परंपरा के अनुसार बुधवार को सुबह विशेष पूजा-अर्चना के बाद भक्तों ने आग के अंगारे लेकर खेल किया. हाथों में जलते हुए अंगारे लेकर तथा धधकते अंगारे के ऊपर नंगे पैर दौड़ भी लगायी. तत्पश्चात स्थानीय तालाब में स्नान करने के बाद मन्नतें रखने वाले भक्त वाण फोंड़ा (अपने शरीर में लोहे का तीर भोंकवाना) में शामिल हुए. यह परंपरा यहां वर्षों पुरानी है. प्रतिवर्ष बांग्ला पंचांग के 10 वैशाख चड़क पूजा के उपलक्ष्य में भक्तों का समागम होता है तथा 11 वैशाख आग खेल व वाण फोंड़ा कार्यक्रम में भक्त शामिल होते हैं. इस उपलक्ष्य में यहां मेला भी लगता है. चड़क पूजा में शामिल रानीबहाल गांव के मंसूर मरांडी ने बताया कि वह पिछले दस सालों से चड़क पूजा में शामिल हो रहे हैं. हरखी गांव के लखींद्र मिर्धा 13 सालों से, कुलंगो गांव के कैलाश मिर्धा 5 सालों से, इसी गांव के बासु मिर्धा 20 सालों से, जगदीशपुर के मैनेजर मिर्धा 43 सालों से, पलमा गांव के अजित मिर्धा 50 सालों से, सिंगारी गांव के चुंडे सोरेन भी 50 सालों से चड़क पूजा में शामिल हो रहे हैं. कई भक्त उनके पूर्वजों की मृत्यु हो जाने के बाद यह परंपरा जारी रखे हुए हैं. इसके अलावा बाबुआ मिर्धा, सुनीराम, आनंद मिर्धा भी पूजा में शामिल हुए. चड़क पूजा में सदर प्रखंड के अलावा रानीश्वर, मसलिया, दुमका प्रखंड क्षेत्र से भी भक्त पूजा में शामिल होने आते हैं. मेला में चिलचिलाती धूप के बावजूद काफी संख्या में लोगों की भीड़ देखी गयी.
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