20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पारा 43 डिग्री के पार, लू के कारण घर से निकलना हो रहा मुश्किल

अप्रैल में सताने लगी गर्मी, हर रोज लू की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे मरीज

दुमका. उपराजधानी दुमका के तापमान में पिछले दो-दिन दशकों में काफी बदलाव आया है. इस दौरान औसतन तापमान की बात की जाये, तो अप्रैल में 40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान हुआ करता था, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल औसतन तीन से चार डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ा हुआ रह रहा है. अप्रैल में अब तक कई एक बार बारिश हो जाया करती थी, पर इस साल बारिश भी वैसी नहीं हो सकी है. होली के समय में ओलावृष्टि और तेज आंधी चली थी, लेकिन जो बारिश होने की उम्मीद थी, वह नहीं हो पायी थी. बढ़ते तापमान की वजह से इस बार जेठ आने से पहले चैत-वैशाख में ही लोग लू लगने से बीमार पड़ रहे हैं. हॉस्पिटल के बेड भरे रह रहे हैं. पहले दोपहर तक धूप, शाम में बारिश थी दुमका की पहचान दुमका व आसपास के इलाके में वैशाख व जेठ के महीने में गर्मी अधिक होती थी, तो शाम ढलते-ढलते बारिश भी हो जाया करती थी. यानी गरमी अधिक रहती थी, तो बारिश आयेदिन राहत भी पहुंचा जाती थी, पर पिछले दो-तीन सालों से तो इंद्रदेव की मेहरबानी भी इस इलाके में कम ही दिख रही है. अच्छी और समय पर बारिश न होने से पूरी तरह वर्षा आधारित यहां खरीफ की खेती को बहुत बुरा असर पड़ता है. दो बार से खरीफ में शत-प्रतिशत आच्छादन तक जिले में नहीं हो पा रहा. जलस्तर में तेजी से आ रहा गिरावट, अब 1000 फीट पर बोरिंग दुमका जिले के जलस्तर में भी तेजी से गिरावट आ रही है. जलस्तर नीचे जाने से चापानल बेकार भी हो जा रहे हैं. बोरिंग गरमी के दिनों में फेल भी कर जा रहा है. यही वजह है कि शहरी क्षेत्र में अब कोई भी परिवार 400 फीट से कम बोरिंग नहीं कराता. वहीं कॉमर्शियल बिल्डिंग में पानी की खपत और उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए 1000 फीट वाली बोरिंग भी दिन-प्रतिदिन हो रही हैं. नगर परिषद क्षेत्र की आबादी एक लाख भी नहीं है, लेकिन यहां सरकारी चापानल के लिए 705 बोरिंग हुए है. 65 बोरिंग आज के दिन में डेड है. इसी तरह पूरे जिले में लगभग 30000 बोरिंग सरकारी स्तर पर हैं. बावजूद जलसंकट से कई इलाके जूझ रहे हैं. सूख चुके हैं नदी व तालाब, मवेशी पालक किसान परेशान दुमका जिले की अधिकांश नदियों में पानी की धार नहीं दिख रही. बालू उठाव के कारण नदियों में मिट्टी अधिक दिख रही है. घांस-पात ऊगे नजर आ रहे हैं. सरैयाहाट, नोनीहाट व जरमुंडी जैसे इलाके के लिए जीवनदायिनी मानेजानेवाली मोतिहारा नदी वक्त से पहले गरमी में साथ छोड़ चुकी है. यह ऐसी नदी है, जहां से पटवन करके किसान भरपूर सब्जी उत्पादन किया करते हैं. इस बार नहीं में दूर-दूर तक पानी का नामोनिशां नहीं है. पटवन के लिए पानी की जुगाड़ यहां के किसान नदी को चिरकर कर रहे हैं. नदी में ही बोरिंग करके किसानों को पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है. पानी नहीं रहने से खेत में लगी फसल सूखने लगी है. जबकि कुछ किसान नदी का सीना चिर कर फसल बचाने में जुटे हैं. नदी में बालू हटाकर 15 से 20 फिट केसिंग पाइप अंदर डाल देते हैं. इससे पटवन करने में सुविधा होती है. दर्जनों गांव के लोगों के लिए यह नदी किसी जीवन रेखा से कम नहीं है. खेती गृहस्थी से लेकर पशु का चारा पानी को लेकर समस्या होने लगी है. अब सड़कें तो हो गयी चौड़ी, दूर-दूर तक छाया नहीं दुमका जिले की अधिकांश सड़कों पर एक-डेढ़ दशक पहले तक दोनों ओर छायादार वृक्ष थे. दुमका-पाकुड़ रोड पर काठीकुंड-गोपीकांदर के इलाके में सागवान के वृक्ष दिखते थे, तो यही हाल दुमका-देवघर और दुमका-भागलपुर, दुमका-रामपुरहाट रोड का हुआ करता था. नयी-नयीं और चौड़ी-चौड़ी सड़कें बनती गयी, तो पेड़ कटते गये. ऐसे में सड़क के किनारे छायादार वृक्ष नहीं रहे. अब तो छायादार जगह पर पड़ाव डालने के लिए भी लोगों को अपनी गाड़ी लेकर कई एक किलोमीटर आगे बढ़ना पड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें