बहरागोड़ा. बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र में इस बार 13119 हेक्टेयर में गरमा धान की खेती हुई है.अधिकतर क्षेत्र में हार्वेस्टर मशीन से धान की कटाई हो चुकी है. लेकिन धान अधिप्राप्ति केंद्र नहीं खुलने से किसान खुले बाजार में धान बेचने को मजबूर हैं. किसानों के पास भंडारण की भी व्यवस्था नहीं है.आसमान में बादल छाये रहने के कारण किसान आने-पौने दाम पर व्यापारियों को धान बेचने को मजबूर हैं. प्रति क्विंटल 1650 रुपये की दर से खुले बाजार में धान बेच रहे हैं. इससे किसानों को काफी मेहनत के बावजूद भी उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. मालूम हो यहां से झारखंड,पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में धान को मिलों में भेजा जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्र में भंडारण व्यवस्था ध्वस्त :
ग्रामीण स्तर पर किसानों द्वारा उत्पादित धान को संरक्षित करने के लिए ग्रीन गोला की व्यवस्था थी. यहां पर किसान अपने उपयोग के बाद बचे हुए धान की सुरक्षित रखते थे. जब बाजार में धान का मूल्य बढ़ता था, तो वहां से धान निकालकर बेचते थे. ग्रीन गोला को संचालित करने का काम जिला कल्याण विभाग करता था. लगभग पंचायत मुख्यालय में भाड़े के मकान में अथवा सरकारी भवन में इस प्रकार के छोटे-छोटे गोदाम बने हुए थे. इसके रख-रखाव के लिए कर्मचारी नियुक्त किए गए थे. 1990 के बाद अधिकांश कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये. तब से ग्रामीण भंडारण व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो गयी. अब उन भंडार गृह का भी कोई अस्तित्व नहीं है. न तो तत्कालीन बिहार सरकार न ही झारखंड सरकार ने ग्रामीण भंडारण की व्यवस्था को पुनः जीवित करने का प्रयास किया. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है