Jharkhand News: बरसोल (पूर्वी सिंहभूम): बहरागोड़ा प्रखंड की सांड्रा पंचायत स्थित भादुआ गांव में शुक्रवार की सुबह किसान दाखिन मुर्मू के खेत में एक हथिनी मृत मिली. सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंची. चिकित्सकों ने हार्ट अटैक से हथिनी की मौत की आशंका जतायी है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि गुरुवार की रात यहां हाथियों की लड़ाई हुई थी. लड़ाई में हथिनी की मौत हुई है, जबकि आसपास संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले हैं. चिकित्सकों ने हथिनी का पोस्टमार्टम कर विसरा जांच के लिए भेजा है, जबकि शव को खेत में गड्ढा खोदकर दफना दिया गया. जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत के असली कारण का पता चल पायेगा. सूचना पाकर डीएफओ सबा आलम अंसारी, रेंजर दिग्विजय सिंह समेत दर्जनों वनरक्षी पहुंचे थे. पशु चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ मनोज कुमार महंता, डॉ प्रशांत कुमार ने पोस्टमार्टम किया.
रात में बंगाल से 10-12 हाथियों का झुंड बरसोल में घुसा
पूर्वी सिंहभूम जिले के भादुआ गांव के पास के जंगल में 10-12 हाथियों का झुंड गुरुवार की रात विचरण करते हुए बंगाल से बरसोल में घुसा था. इस दौरान हाथियों के बीच लड़ाई हुई थी. ग्रामीणों का कहना है कि अभी भी जंगली हाथियों का झुंड बगल के जंगल में शरणागत है.
घटनास्थल पर नहीं मिला बिजली तार, करंट लगने के सबूत नहीं
पशु चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सिंह ने कहा कि घटनास्थल के आसपास बिजली के तार और करंट लगने के सबूत नहीं मिले हैं. घटनास्थल से कुछ दूरी पर खेत में घास खत्म करने की दवा के कई सारे पैकेट मिले हैं. हो सकता है कि उक्त पैकेट खाने के बाद हाथी को हार्ट अटैक हुआ हो. मादा हाथी की उम्र लगभग 40 वर्ष आंकी गयी है. उसकी लंबाई छह फीट थी. जेसीबी से गड्ढा खोदकर हथिनी को दफनाया गया. इसके पहले ग्रामीणों ने हाथी की पूजा की.
वन विभाग का हाथियों के बीच लड़ाई होने से इनकार
वन विभाग ने अब तक की जांच में पाया है कि हाथियों के बीच किसी तरह की लड़ाई नहीं हुई है. संभव है कि हाथी जहर दिया गया हो या करंट लगा हो. वन विभाग के अनुसार, हाथी को कोई बीमारी नहीं थी.
ग्रामीण दहशत में
घटना के बाद से भादुआ समेत आसपास के गांव के लोग दहशत में हैं. लोगों का कहना है कि हथिनी की मौत के बाद झुंड के अन्य हाथियों का व्यवहार और उग्र हो सकता है. हाल में बरसोल में जंगली हाथियों का तांडव काफी बढ़ा हुआ है. हाथियों के हमले में कई ग्रामीणों को जान भी गंवानी पड़ी है. साथ ही, शरण लिए हुए हाथियों के झुंड की निगरानी की जा रही है.
हाथियों के लिए डेथ जोन बना कोल्हान, 2024 में नौ की मौत
कभी हाथियों के लिए सेफ जोन माना जाने वाला कोल्हान अब हाथियों के लिए डेथ जोन बनता जा रहा है. वर्ष 2024 में नौ हाथियों की मौत हो चुकी है, जिसमें से सात की मौत करंट लगने से जबकि दो की अन्य कारणों से मौत हुई है. कुछ दिन पूर्व दलमा से सटे चांडिल और चिलगू एरिया में दो हाथियों की मौत हुई थी. इस साल रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान एक हाथी की मौत हुई थी, वहीं, पांच साल में कोल्हान में 62 हाथियों की मौत हो चुकी है. 11 जनवरी 2023 को गुंडा बिहार स्टेशन के समीप ट्रेन से कटकर एक हाथी के बच्चे की मौत हुई थी. नवंबर 2023 में एक साथ सात हाथियों की मौत चाकुलिया और धालभूमगढ़ में हुई थी.
शनिवार को आ सकती है रिपोर्ट
डीएफओ सबा आलम अंसारी ने कहा कि हथिनी का पोस्टमार्टम कराया गया है. रिपोर्ट शनिवार तक आ सकती है. इसके बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि होगी. अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि हाथिनी की मौत कैसे हुई है. हाथी के शरीर पर बाहरी चोट के निशान नहीं हैं.