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Ghatshila News : एजेंट ने आठ साल मजदूरी करा नहीं दिये रुपये, आधार व प्रमाण पत्र रख लिया, सबर की दुर्घटना में मौत, पत्नी व तीन बच्चे भीख मांगने को विवश

गालूडीह का एजेंट सबर दंपती को ले गया था बेंगलुरु, मजदूरी नहीं मिलने पर सबर दंपती बच्चों के साथ भागकर घर आ गया, रूपाली सबर तीन बच्चों संग घाटशिला के पावड़ा में टूटे घर में रहती है

गालूडीह. आठ साल बेंगलुरु में मजदूरी करा कर मेहनताना नहीं दी. सबर दंपती के आधार कार्ड व बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र अपने पास रख लिया. इधर, परेशान सबर दंपती भागकर अपने घर कोकपाड़ा (धालभूमगढ़) आ गया. कुछ दिनों बाद सबर की ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गयी. उसकी पत्नी व तीन बच्चे खंडहरों में रहकर भिक्षा मांगकर पेट पालने को विवश हैं.

धालभूमगढ़ प्रखंड के कोकपाड़ा स्थित सालबनी गांव निवासी राजू सबर (30) की पत्नी रूपाली सबर ने बताया कि गालूडीह निवासी मजदूरों का एजेंट मुन्ना लाल मोहरी और उसके पुत्र रंजीत मोहरी उन्हें काम का प्रलोभन देकर बेंगलुरु ले गया. तब दोनों की शादी हुई थी. बेंगलुरु में तीन बच्चे हुए. बड़ा बेटा आकाश सबर (8), बेटी लक्ष्मी सबर (5) और बेटी रिया सबर डेढ़ साल की है. वहां आठ साल काम करा कर मजदूरी के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं दी. सबर दंपती अपने घर लौटना चाहा, तो पति-पत्नी का आधार कार्ड और बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र एजेंट ने अपने पास रख लिया. तंग आकर राजू और रूपाली सबर बच्चों के साथ भागकर दो साल पहले अपने गांव पहुंचे. यहां राजू सबर मजदूरी कर परिवार चलाने लगा.

पति की मौत के बाद ससुरालवालों ने घर से निकाला

एक साल पहले ट्रेन दुर्घटना में राजू की मौत हो गयी. रूपाली सबर के ससुराल वालों ने उसे घर में रहने नहीं दिया. रूपाली सबर अपने तीनों बच्चों को लेकर घाटशिला के पावड़ा के स्कूल के बरामद में रहने लगी. शराबियों का अड्डा देख पावड़ा के पास एक टूटे घर में शरण ली है. फिलहाल बच्चों के साथ गुजारा कर रही है. सबर बच्चे सुबह में भीख मांगते हैं. इसकी जनकारी शनिवार को रूपाली सबर ने दी.

राशन व पेंशन से वंचित है सबर महिला

आधार कार्ड और बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने से रूपाली सबर और उनके तीन बच्चे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. आदिम जनजाति के होने के बावजूद राशन व पेंशन नहीं मिल रही. आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र मजदूरों के एजेंट के पास है.

सबर महिला को इंसाफ दिलाने में जुटे समाजसेवी

श्रम विभाग और स्थानीय प्रशासन बेखबर है. विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबर महिला रूपाली सबर अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ दर-दर भटकने को विवश है. खाने के लाले पड़े हैं. रहने को घर नहीं है. घाटशिला के समाजसेवी सुब्रत दास को सबर महिला ने जानकारी दी. उन्होंने कहा मामले को श्रम विभाग और कोर्ट तक ले जायेंगे. सबर महिला को इंसाफ दिलायेंगे.

–कोट–

मामला गंभीर है. जांच कर कार्रवाई करेंगे. अभी चुनाव ड्यूटी पर हैं. मामले को दिखाते हैं.

– अविनाश ठाकुर, श्रम अधीक्षक

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आरोप गलत है. मैं राजू सबर और रूपाली सबर नाम के मजदूर को नहीं जानता. ऐसे में उसका आधार कार्ड और बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र रखने की बात कहां से आती है. मैं अब मजदूर को बाहर नहीं ले जाता हूं. गालूडीह में काम करता हूं. मजदूरों को बाहर ले जाने का मेरे पास लाइसेंस नहीं है. पहले भी मजदूर श्रम विभाग से अपना कार्ड बनाकर स्वेच्छा से जाते थे.- रंजीत मोहरी, गालूडीह

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