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एमजीएम बच्चा वार्ड में नहीं है आग बुझाने की कोई व्यवस्था

एमजीएम अस्पताल के बच्चा वार्ड में आग बुझाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है

फोटो उमा

– बच्चा वार्ड व बच्चा इमरजेंसी मिलाकर सिर्फ दो फर्स्ट एड फायर फाइटिंग सिस्टम है, जो अब हो गया है एक्सपायरी

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे की तरह कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में भी इस तरह के हादसे होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. अस्पताल के किसी भी पुरानी बिल्डिंग में आग बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल के वार्डों में आग बुझाने के लिए सिर्फ फर्स्ट एड फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया गया है, वह भी एक्सपायरी हो गया है. अस्पताल के बच्चा वार्ड व उसके इमरजेंसी में सिर्फ दो ही फर्स्ट एड फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया गया है. दोनों एक्सपायरी हो गया है. लगाने के बाद से ही इसे देखने वाला कोई नहीं था, जिस कारण ऐसा हुआ है. आग लगने पर एमजीएम अस्पताल में रोगियों, चिकित्सकों व स्टाफ की सुरक्षा खतरे पड़ सकती है. भारी भीड़-भाड़ वाले एमजीएम अस्पताल में अगर आग लगने की घटना होती है, तो सुरक्षा उपकरणों के अभाव में भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. अग्निशामक यंत्रों के भरोसे अस्पताल की सुरक्षा का दावा अस्पताल प्रबंधन करती रही है, पर हकीकत कुछ और कहता है.

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पीआइसीयू व एनआइसीयू में इलाज कराने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा

एमजीएम अस्पताल के बच्चा वार्ड में इस समय 27 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. वहीं यहां कुल 40 बेड हैं. इसमें सबसे ज्यादा खतरा पीआइसीयू व एनआइसीयू में इलाज करा रहे बच्चों को है. पीआइसीयू व एनआइसीयू जिस जगह पर बनाया गया है, उसके सामने बरामदा में केबिन बनाया गया है, जिसके कारण आने-जाने के लिए सिर्फ पतली सी गली है. जगह नहीं होने के कारण आग लगने पर दमकल के कर्मचारी भी उसको नहीं बुझा सकते.

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अधीक्षक ने बनायी टीम, जांच का दिया आदेश

झांसी की घटना को लेकर एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ शिखा रानी ने बताया कि यह घटना काफी दुखद है. इसे देखते हुए अस्पताल के दो कर्मचारियों की टीम बनायी गयी है. उसको निर्देश दिया गया है कि अस्पताल में कहां-कहां फर्स्ट एड फायर फाइटिंग सिस्टम लगा है, उसकी स्थिति क्या है. इसके साथ ही आग लगने पर क्या समस्या आ सकती है, इसकी जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया, ताकि उस पर काम किया जा सके.

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