ललन सिंह, घाटशिला
घाटशिला प्रखंड के गोपालपुर में बनी जलापूर्ति योजना 14 साल में भी सफल नहीं हो सकी है. दरअसल, 2 अगस्त, 2009 को तत्कालीन सांसद अर्जुन मुंडा और विधायक प्रदीप कुमार बलमुचु की पहल पर दाहीगोड़ा में डेढ़ लाख गैलन क्षमता की जलमीनार बनी थी. इसका उद्घाटन झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने किया था. प्रखंड की घाटशिला ,पावड़ा, गोपालपुर व धर्मबहाल पंचायत के लोगों को जलापूर्ति के लिए योजना बनी थी. 14 साल बाद भी योजना सफल नहीं है. धर्मबहाल और पावड़ा पंचायत कुछ क्षेत्रों में पाइपलाइन बिछायी गयी थी. रेलवे लाइन पार करने की अनुमति मिलने में समय लगने के कारण दोनों पंचायतों में योजना अधर में लटक गयी. चालकडीह क्षेत्र में पाइपलाइन बिछायी गयी, लेकिन जलापूर्ति नहीं हो पायी. पहले मुस्लिम बस्ती में पूरी तरह से जलापूर्ति होती थी. कुछ दिनों के बाद कुछ घरों में जलापूर्ति होने लगी. अभी बस्ती के अधिकतर घरों में जलापूर्ति नहीं होती है.पहले की तरह नहीं होती है जलापूर्ति : जल सहिया
घाटशिला प्रखंड की तीन पंचायतों के 1820 घरों में फिलहाल जलापूर्ति होती है. गोपालपुर में 1140, पावड़ा में 280, घाटशिला पंचायत के 420 घरों में कनेक्शन है. गोपालपुर की जल सहिया सोमा आदित्य ने बताया कि पहले की तरह घरों में जलापूर्ति नहीं होती है. अनीता सीट व मीता मिश्रा ने बताया कि पंचायत प्रतिनिधि बार-बार जलापूर्ति विभाग से कई बार शिकायत कर चुके हैं.रेल लाइन पार पाइप पहुंचाने के लिए कई बार आवाज उठी
धर्मबहाल और पावड़ा पंचायत के ग्रामीणों ने पाइपलाइन को रेलवे लाइन पार करने के लिए आवाज उठायी, लेकिन सार्थक पहल नहीं हुई. वर्ष 2016 में तीन पंचायतों के मुखियों की सक्रियता से दाहीगोड़ा और पांच पांडव सुवर्णरेखा नदी के पास 35 एचपी मोटर की जगह 75 एचपी का मोटर लगाया गया.विभाग की निष्क्रियता से पुरानी योजना बंद
यह योजना 40 हजार की आबादी के लिए बनी थी. ग्रामीणों ने पुरानी जलापूर्ति और पानी टंकी सुचारू रूप से चलाने की मांग की. विभाग की निष्क्रियता से पुरानी जलापूर्ति योजना बंद हो गयी. इसके बाद से किसी ने ध्यान नहीं दिया. संजय नमाता, नारायण नमाता व उत्तम ने कहा कि सुवर्णरेखा नदी के किनारे वाले क्षेत्र में भी घर-घर नल जल योजना विफल साबित हो रही है. राजस्टेट के आसपास के कई क्षेत्रों में आज भी जलापूर्ति नहीं होती है.केवल आश्वासन देते रहे हैं जनप्रतिनिधि
15 साल से जनप्रतिनिधि केवल आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तत्काल हम कुछ नहीं बोल सकते हैं. नयी सरकार बनने के बाद कुछ बोल पायेंगे. यह योजना सफल है. पंचायत प्रतिनिधि और जल सहिया ही दाहीगोड़ा की जलापूर्ति की योजना की देखरेख करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है