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नहीं मिल रहे हैं खेतिहर मजदूर, बटाईदारों से खेती कराना मजबूरी

नहीं मिल रहे हैं खेतिहर मजदूर, बटाईदारों से खेती कराना मजबूरी

धुरकी प्रखंड क्षेत्र में जहां कम बारिश हुई थी, वहां किसान भदईं फसल और धान का बिछड़े बचाने में जुटे थे. पर अभी हो रही बारिश से किसानों के चेहरों पर खुशी दिख रही है. बारिश होते ही वे धान रोपनी करने में जुट गये हैं. लेकिन किसानों को खेतिहर मजदूरों को लेकर समस्या हो रही है. दरअसल प्रखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में मजदूर बाहर कमाने निकल चुके हैं. इससे धान रोपनी करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे. ऐसे में किसान धनरोपनी के लिए दूरदराज से मजदूर ला रहे हैं. इससे खर्च काफी बढ़ जा रहा है. इस कारण वैसे किसान, जो स्वयं अपने खेत में मजदूरी नहीं कर सकते, वे अपने खेत बटाईदारों को दे दे रहे हैं. बटाईदारों से काम करा रहे हैं : दामोदर जायसवाल इस संबंध में खाला के किसान दामोदर जायसवाल ने बताया कि वह खासकर धान की खेती स्वयं करते थे. लेकिन मजदूरों के अभाव में पूरी खेती बटाइदारों के भरोसे हो रही है. यद्यपि इसके बावजूद उन्हें खुद भी मेहनत करनी पड़ रही है. खेती करना अब काफी महंगा हो गया है : हाफिज खान वहीं खुटीया गांव के बुजुर्ग किसान हफीज खान ने कहा कि खेती में मेहनत और पूंजी दोनों जरूरी है. खेती करना अब काफी महंगा हो गया है. पहले गांव में काफी मजदूर मिलते थे. इससे समय पर खेती हो जाती थी. लेकिन अब समय के हिसाब से खेती नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरी खेती बटाईदारों को दे दी है. कार से मजदूरों को लाना-पहुंचाना पड़ रहा है : नीलू जायसवाल इधर खाला गांव के किसान नीलू जायसवाल ने बताया कि धान रोपनी करने के लिए उन्हें कार से मजदूर लाने पड़ रहे हैं. वहीं कार से ही उन्हें वापस भेजना पड़ रहा है. तब धान की रोपनी हो रही

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