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कूप निर्माण में प्राक्कलन व गुणवत्ता बेमानी, निगरानी समिति सो रही

कूप निर्माण में प्राक्कलन व गुणवत्ता बेमानी, निगरानी समिति सो रही

खरौंधी प्रखंड में मनरेगा योजना अंतर्गत बन रहे 242 स्वीकृत बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना के निर्माण मे मनरेगा कर्मियों, मुखिया एवं पंचायत सचिव द्वारा भारी अनियमितता बरती जा रही है. खरौंधी प्रखंड की नौ पंचायतों में 81 बिरसा सिंचाई कूप बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. इसमें कुछ कूप को छोड़कर लगभग 90 प्रतिशत बिरसा सिंचाई कूप का निर्माण प्राक्कलन के अनुसार नहीं कराया गया है. इन कूपों के निर्माण में गिट्टी, बालू एवं सिमेंट का प्रयोग कर फार्मा लगाकर ढ़लाई कर दिया जा रहा है. जबकि प्राक्कलन के अनुसार कूप के नीचे तल में छह इंच का आरसीसी करना है. इसके बाद 15 ईंच मोटे पत्थर की दीवार 15 फीट की उंचाई तक बनानी है. इसके बाद इसमें छह इंच की दीवार पर आरसीसी भी करना है. इसके बाद ईंट से जोड़ाई करना है. इसके बाद मुंडेर का निर्माण किया जाना है. लेकिन प्राक्कलन के अनुसार कहीं भी कूप का निर्माण नहीं हो रहा है.

गुणवत्ता निगरानी समिति भी है : प्राक्कलन के अनुसार काम कराने के लिए गुणवत्ता निगरानी समिति का भी गठन किया गया है. इसमें बीडीओ अध्यक्ष व प्रखंड कृषि पदाधिकारी सचिव होते हैं. वहीं पंचायती राज पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, अभियंता एवं सहायक अभियंता गुणवत्ता निगरानी समिति के सदस्य होते हैं. इनकी देखरेख के बावजूद बिरसा सिंचाई कूप का निर्माण प्राक्कलन के अनुसार नहीं होना समझ से परे है.

वेंडर सामग्री नहीं देते, खरौंधी में उनकी दुकान बी नहीं : खरौंधी प्रखंड में 49 कूप लाभुकोंं को प्रत्येक कूप के लिए 50 हजार रुपये का भुगतान वेंडर को कर दिया गया है. जबकि वेंडरों ने लाभुकों को पत्थर, ईंट, गिट्टी एवं सिमेंट दिये ही नहीं हैं. यदि वेंडरों ने सामग्री उपलब्ध करा दी है, तो प्राक्कलन के अनुसार कूप का निर्माण आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है. लाभुकों ने बताया कि वेंडर सामग्री नहीं देते हैं. वे लोग खुद नकद भुगतान कर सामग्री खरीदते हैंं. उन्होंने बताया कि खरौंधी मे वेंडरों की दुकान भी नहीं है. प्रखंड कार्यालय द्वारा चिह्नित वेंडरों के नाम वाउचर सेव कराया जाता है. इसके बाद सामग्री मद मे पैसा आने के बाद वेंडर भारी कटौती कर लाभुकों को इसका भुगतान करते हैं. इधर मनरेगा सूचना पट पर कई सूचनाएं भी अंकित नही की जाती है. इसमें मनरेगा लोकपाल का संपर्क नंबर व टोल फ्री नंबर छुपाया जाता है.

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