चिनिया थानांतर्गत सिगसिगा कला गांव में रुद्र महायज्ञ सह हनुमत प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम चल रहा है. कार्यक्रम के तीसरे दिन प्रवचन कर्ता सुरेश शास्त्री ने कहा कि भारतीय नारी पौराणिक काल से ही मर्यादा की प्रतीक मानी जाती रही हैं. एक पौराणिक कथा का वर्णन करते हुए शास्त्रीजी ने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने मिलकर माता अनसूया की तपस्या भंग करने का प्रयास किया था. लेकिन उन्होंने अपने तपोबल से तीनों देवों को छह माह का बालक बना दिया. बाद में तीनों देवों की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें विमुक्त किया गया. इसके अलावा सीता, सावित्री जैसी हजारों नारियों के त्याग, तपस्या से इतिहास भरा पड़ा है. इसलिए भारतीय संस्कार और संस्कृति की चर्चा देश ही नहीं, विदेशों में भी की जाती है. एक देश के अलावा भारत संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, त्याग व तपस्या का प्रतीक भी माना जाता है. उन्होंने कहा कि मानव रूप में शरीर बड़े भाग्य से मिला है. इसलिए इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए. शास्त्रीजी ने कहा कि नौकरी, खेती-बाड़ी व व्यवसाय से धन-दौलत बढ़ाएं, लेकिन किसी को नीचा दिखाने का कार्य न करें. वह धन किसी काम का नहीं है, जिससे गरीब, असहाय व दिव्यांग का कल्याण न होता हो. उन्होंने कहा कि गेरुआ वस्त्र शांति, त्याग व तपस्या का सूचक है. भारतीय नारी देश की संस्कृति और मर्यादा है. माताओं को चाहिए कि वह अपने बच्चों को बाल्यावस्था से ही पूजा-पाठ करने की प्रवृत्ति सिखाये. इससे वह बच्चा भले पढ़-लिखकर नौकरी करने वाला न बने, लेकिन एक अच्छा इंसान जरूर बनेगा.
राम नाम एक महामंत्र है : रामानुजाचार्य
उपस्थित लोग : मौके पर यज्ञ कमेटी के अध्यक्ष अंबिका यादव, अजय यादव, बैजनाथ यादव, विश्वनाथ यादव, विकास यादव, रामानंद यादव, संजय कुमार यादव, जितेंद्र कुमार यादव, अरुण यादव, नारायण यादव, विजय यादव, बदन यादव, रामबचन राम, हरिहर राम, भरत यादव, पचु यादव, उपेंद्र यादव, जीवन यादव व मनोज यादव सहित समिति के अन्य सभी सदस्य व श्रद्धालु उपस्थित थे.
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