कांडी. कांडी प्रखंड की पतिला पंचायत में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा पिछले 10 सालों से बदतर स्थिति में है. ऐसी हालत में पंचायत की करीब 12 हजार की आबादी प्राथमिक उपचार, मामूली दवाएं व चिकित्सकीय परामर्श की भी मोहताज है. कांडी प्रखंड हेंठार एवं पहाड़ी-दो भौगोलिक क्षेत्र में बंटा है. हेंठार क्षेत्र का पतिला एक प्रमुख गांव के साथ पंचायत मुख्यालय भी है. पर यहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधा जीरो है. करीब 10 वर्ष पहले एएनएम बेला कच्छप का यहां से स्थानांतरण हो गया था. उसके बाद से यहां किसी एएनएम को पदस्थापित नहीं किया गया. जबकि दो साल से अधिक समय से यहां स्वास्थ्य केंद्र (आरोग्य मंदिर) सह प्रसव केंद्र का भवन बन चुका है. चिकित्सक तो दूर एएनएम के भी न होने से यहां संस्थागत प्रसव पूरी तरह बंद है. प्रसव के लिए लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझिआंव या सदर अस्पताल गढ़वा जाना पड़ता है. स्वास्थ्य मंत्री रहते भी नहीं सुधरी स्थिति : स्वास्थ्य के क्षेत्र में पंचायत की यह स्थिति तब है जब वर्ष 2019 से 2024 तक स्थानीय विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ही राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री हुआ करते थे. पतिला पंचायत के पंचायत समिति सदस्य मनोज पासवान ने कहा कि पंचायत में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति की बड़ी आबादी निवास करती है. जो संसाधन के मामले में काफी कमजोर है. बावजूद इसके इन्हें सरकारी सुविधा मयस्सर नहीं हैं. झोलाछाप चिकित्सक या झाड़फूंक पर निर्भरता : इस संबंध में पतिला पंचायत के मुखिया सह प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष अमित कुमार दुबे ने कहा कि पंचायत की पूरी आबादी झोलाछाप चिकित्सक या झाड़-फूंक करने वालों पर निर्भर है. यहां संस्थागत प्रसव पूरी तरह बंद हो जाने के कारण लोगों को बाहर जाना पड़ता है या विपरीत परिस्थिति में दाई एवं महरी के सहारे घरों में ही प्रसव कराना पड़ता है. पता करते कुछ कह सकते हैं : सिविल सर्जन वहीं इस संबंध में जिले के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि वह पूरी स्थिति का पता करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं.
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