गढ़वा जिला मुख्यालय से मात्र 10 किमी दूर करूआ गांव के एक ही घर में तीन दिव्यांग बच्चे सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. करूआ निवासी राजकुमार राम के पांच बच्चे हैं. इनमें से तीन बच्चों का कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता. इसके अलावे वे बोलने में भी असमर्थ हैं और उनकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. इनमें दो लड़की एवं एक लड़का है. तीनो दिव्यांग बच्चों की स्थिति को देखकर राजकुमार राम का परिवार प्रतिदिन घुट-घुट कर जीने को विवश है. राजकुमार दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. जबकि उनकी पत्नी का पूरा समय इन तीनो बच्चों की दिनचर्या पूरी करने तथा घर के अन्य कामों में बीत जाता है. इन तीन दिव्यांग बच्चों के अलावे दाे बड़े बच्चे सामान्य हैं तथा वे प्रतिदिन स्कूल जाते हैं. निर्धनता की पराकाष्ठा के बावजूद पांचो भाई-बहन में से किसी को सरकारी राशन नहीं मिलता. तीन दिव्यांग बच्चों में से सिर्फ एक को ही दिव्यांगता पेंशन का लाभ मिल रहा है. जबकि दो का दिव्यांगता प्रमाणपत्र भी नहीं बन सका है. इनका विद्यालय में नामांकन भी नहीं है.
मिली जानकारी के अनुसार करूआ कला गांव निवासी राजकुमार राम के पांच बच्चों में एक 16 साल एवं एक 15 साल के दो बच्चे ठीकठाक हैं. ये दोनों सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं. लेकिन उसके बाद 13 साल का अंकुश कुमार, 10 साल की चांदनी कुमारी एवं चार साल की नंदनी कुमारी दिव्यांग हैं. राजकुमार के पास खेती लायक जमीन भी नहीं है. इस परिवार के पास बेहतर घर भी नहीं है. ये एक झोपड़ीनुमा घर में किसी तरह से अपना जीवन गुजार रहे हैं. राशन कार्ड में सिर्फ राजकुमार एवं उसकी पत्नी का ही नाम दर्ज है. पाचो बच्चों का नाम दर्ज कराने के लिए माता-पिता काफी दिनों से प्रयासरत हैं. लेकिन उनका नाम दर्ज नहीं हो सका है. राजकुमार राम ने बताया कि दिव्यांग बच्चे किसी तरह से घिसट कर चलते हैं. मूक व मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण वे अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं पाते. उनके पास हमेशा घर के किसी एक सदस्य को रहना पड़ता है. इस वजह से सिर्फ वही मजदूरी करने जा पाते हैं, जबकि उनकी पत्नी घर में ही बच्चों की देखभाल करती है.
पीएलवी ने घर जाकर ली जानकारीइस सूचना पर पीएलवी मुरलीश्याम तिवारी ने बच्चों के घर जाकर उनकी स्थिति की जानकारी ली. श्री तिवारी ने बताया कि पीडीजे एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव के निर्देश पर वे इन बच्चों के स्थिति की जानकारी लेने पहुंचे हैं. तीनों बच्चों एवं उनके परिवार की स्थिति काफी भयावह है. उन्होंने कहा कि वे इन दिव्यांग बच्चों की पेंशन के लिए प्रमाणपत्र बनवाने के साथ-साथ बैंक में खाता खोलवाने, पेंशन स्वीकृत कराने एवं राशन कार्ड में नाम जोड़वाने का काम किया जायेगा.
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