मझिआंव. मझिआंव नगर पंचायत अंतर्गत विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या-139 पर ग्रामीणों ने वोट का बहिष्कार कर रखा था. इस मतदान केंद्र पर कुल 539 मतदाता हैं. ये सभी अपने बीरबंधा गांव को मझिआंव नगर पंचायत क्षेत्र से बाहर करने की मांग कर रहे थे. मझिआंव नगर पंचायत के बीरबंधा वार्ड नंबर-11 के ग्रामीण फुलेश्वर चौधरी एवं रूक्मांगद पाठक ने बताया कि एक तरफ पहाड़ एवं दूसरी तरफ खजूरी डैम से घिरा हुआ बीरबंधा गांव शत-प्रतिशत कृषि प्रधान गांव है. नगर पंचायत में होने के कारण इस गांव को सरकारी फाइलों में शहरी क्षेत्र बताया गया है. कृषि पर आश्रित इस गांव के किसानों को केंद्र एवं राज्य से किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मिलनेवाली कोई भी योजना का लाभ नहीं मिलता है. यही नहीं वे लोग दोहरे टैक्स की मार झेलने पर मजबूर हैं. वे एक तरफ भूमि का राजस्व सरकार को देते हैं, तो दूसरी तरफ शहरी क्षेत्र होने के कारण प्रति एकड़ हजार रुपये होल्डिंग टैक्स भी दे रहे हैं. इसलिए बीरबंधा गांव को नगर पंचायत क्षेत्र से अलग करने की उनकी मांग हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उन लोगों ने पिछले नगर पंचायत चुनाव का भी बहिष्कार किया था. इसके बाद पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि इसके लिए सरकार को लिखा जायेगा. इसके बाद ग्रामीणों ने मतदान किया था. ग्रामीणों ने बताया कि जब बीरबंधा गांव को नगर पंचायत से अलग नहीं किया गया, तब उन लोगों ने लोकसभा चुनाव में भी वोट बहिष्कार किया था. तब तत्कालीन अंचलाधिकारी शंभू राम के लिखित आश्वासन के बाद उन लोगों ने वोटिंग की थी. सीओ ने उपायुक्त गढ़वा को इस संबंध में लिखित रिपोर्ट भेजी थी. लेकिन इसके बाद भी इसपर कोई सार्थक पहल नहीं की गयी. ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने इसी वजह से विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया था. उपस्थित लोग : इस अवसर पर नीलधारी चौधरी, सुदर्शन चौधरी ,रामधनी चौधरी ,रामनाथ चौधरी, उदय चौधरी, ओम प्रकाश चौधरी, महेंद्र चौधरी,रामचंद्र चौधरी, लगन चौधरी, राजदेव चौधरी, गणेश चौधरी, जीरा देवी व मंजू देवी सहित पूरे गांव के ग्रामीण उपस्थित थे. वीडीयो ने नोटा दबाने को कहा फिर तैयार नहीं हुये ग्रामीण बीरबंधा गांव में वोट का बहिष्कार होने की सूचना पर डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर मझिआंव बीडीओ कनक एवं कार्यपालक पदाधिकारी शैलेश कुमार ने गांव में जाकर ग्रामीणों को समझने का अथक प्रयास किया. लेकिन ग्रामीणों ने उनकी बातें नही मानी. ग्रामीणों ने कहा कि पदाधिकारियों द्वारा उन लोगों को दो बार के चुनाव से बरगलाया जा रहा है. कहा जाता है कि उनकी आवाज को वे सरकार तक पहुंचाएंगे और उनकी मांगे मानी जाएगी. लेकिन आज तक नहीं मानी गई. इसपर वीडियो ने ग्रामीणों को समझाते हुए कहा की वोट बहिष्कार करना ही समाधान नहीं है. इसके लिए आप लोग नोटा के माध्यम से भी सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं. लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण वोट देने के लिए तैयार नहीं हुए थे. डीडीसी के समझाने पर माने ग्रामीण बीडीओ के समझाने के बावजूद वोट देने के लिए ग्रामीणों के तैयार नहीं होने पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर उप विकास आयुक्त पशुपतिनाथ मिश्र बीरबंधा गये और उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी मांग जायज है. वह उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे. इसके बाद ग्रामीण वोट देने के लिए तैयार हो गये. तब तक दोपहर के 1.50 बजे चुके थे. करीब 1.50 बजे शुरू हुआ मतदान, 10 बजे तक की अनुमति पीठासीन पदाधिकारी मिथिलेश राम ने बताया कि डीडीसी के समझाने के बाद ग्रामीण मान गये हैं. करीब 1.50 बजे से मतदान शुरू हो गया है. इसके पूर्व चुनाव कर्मियों का मात्र चार वोट पड़े थे. इसमें सहिया और बीएलओ की वोटिंग शामिल था. उन्होंने बताया कि मतदान का निर्धारित समय शाम पांच बजे तक ही है. लेकिन यहां विलंब से मतदान शुरू होने के कारण समय बढ़ा दिया गया है. ग्रामीण रात 10 बजे तक मतदान कर सकते हैं.
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