भवनाथपुर में मुख्यमंत्री पशू धन योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है. आर्थिक रूप से कमजोर व गरीब किसानों को इसका लाभ देने के बजाय संपन्न लोगों को इसका लाभ मिला है. इतना ही नहीं पंचायत प्रतिनिधियों ने अपने परिवार को इसका लाभ दिलाया. जबकि नियमत: यह गलत है. बनसानी पंचायत के रोहिणीयां निवासी गुलाब प्रसाद यादव ने उपायुक्त को आवेदन देकर फर्जी तरीके से लाभुकों के चयन की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है. मुख्यमंत्री पशु धन योजना के तहत एक ही लाभुक को दो-दो बार लाभ दिया गया है. बनसानी पंचायत में प्रमुख शोभा देवी के बेटे विशाल पाठक को दो गाय की योजना का लाभ मिला है. श्री यादव ने आरोप लगाया है कि ग्राम सभा में उसका नाम नहीं होने के बाद भी लाभ दिया गया. वहीं भवनाथपुर मुखीया बेबी देवी की सास मखोला देवी को भी दो गाय की योजना का लाभ मिला है, जबकि देवर अजित कुमार को गत वित्तीय वर्ष तथा चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी हस्त चलित चारा मशीन का लाभ मिला है. वहीं चपरी निवासी उषा देवी, पति भोला राम को भी इस दौरान दो गाय की योजना का लाभ मिला है. इतना ही नहीं जिला परिषद सदस्य शर्मा रंजनी के पति सह रमुना में कार्यरत अमीन कुंदन कुमार ठाकुर को भी बॉयलर कुक्कुट योजना का लाभ मिला है. भवनाथपुर की पूर्व मुखिया मधुलता कुमारी को 10 गाय की योजना का लाभ मिला है. भवनाथपुर के ही विद्या राम के दो बेटे प्रिंस कुमार व पुरूषोत्तम कुमार भी लाभुक हैं.
इतना ही नहीं अन्य पंचायत में भी बड़े पैमाने पर संपन्न लोगों का चयन किया गया है. जबकि जरूरत मंद किसान योजना से वंचित रह गये. मुख्यमंत्री पशु धन योजना के फार्म में शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी राज्य से लेकर जिला, पंचायत का प्रतिनिधि का परिवार इस योजना का लाभ नहीं ले सकता है. इसके बावजूद भी अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है. लाभुक चयन की प्रक्रिया : उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पशु धन योजना के लिए पंचायत स्तर पर ग्रामसभा आयोजित कर लाभुकों का चयन करना है. उसके बाद प्रखंड स्तरीय बैठक में प्रमुख, बीडीओ, जिला परिषद सदस्य, विधायक प्रतिनिधि, कल्याण पदाधिकारी, पशु चिकित्सा पदाधिकारी की कमेटी में ग्रामसभा के चयन की जांच कर जिला को भेजा जाता है. वहां उपायुक्त की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय चयन पर मुहर लगा दी जाती है.
इस संबंध में बीडीओ नंद जी राम ने कहा कि इस तरह की गड़बड़ी की उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
नाम से पहचान नहीं हो पाती है : डॉ सत्येंद्रपशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों के परिवार को इस योजना का लाभ नहीं लेना है. लेकिन हमलोग नाम से नहीं जान पाते हैं, इसलिए ऐसा होता है.
जिले से गड़बड़ी नहीं हुई है : पशुपालन पदाधिकारीजिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि इस तरह की गड़बड़ी जिले से नहीं प्रखंड से हुई है. यदि प्रखंड से लिखित आता है, तो वैसे लोगों का नाम हटाया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है