पूजा और मेला में हिंदू-मुस्लिम समाज की होती है भागीदारी
गांडेय.
गांडेय प्रखंड के बड़कीटांड़ हरिजन टोला स्थित दुर्गा मंडप सांप्रदायिक एकता की मिसाल है. स्थापना काल से ही यहां दोनों समुदाय के लोग एक साथ त्योहार मनाते रहे हैं. बड़कीटांड़ में वर्ष 1941 से दुर्गापूजा हो रही है. यहां की पूजा सांप्रदायिक एकता, सद्भाव, श्रद्धा, विश्वास व भाईचारा का प्रतीक है. यहां दोनों संप्रदाय के लोग एक दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं. बताया जाता है कि वर्ष 1941 में स्व भोली दास ने दोनों समुदाय के सहयोग से प्रखंड के बड़कीटांड़ में दुर्गापूजा की शुरुआत की थी. मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण के साथ-साथ प्रतिमा स्थापित करना, पूजा, प्रतिमा विसर्जन दोनों समुदाय के लोग कंधा से कंधा मिलाकर करते थे. विसर्जन के लिए गांव के सीसीएल कर्मी बुधन मियां की बैलगाड़ी ही हमेशा से उपयोग में लायी जाती थी. अब बैलगाड़ी की जगह विसर्जन के लिए ट्रैक्टर का उपयोग किया जाता है. समय के साथ दोनों समुदाय के बीच दूरियां भी बढ़ीं, लेकिन पूजा के दौरान यहां अब भी दोनों समुदाय में आपसी प्रेम, सद्भाव व सौहार्द्र का भाव झलकता है. बड़कीटांड़ पूजा कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार रविदास ने बताया कि बड़कीटांड़ में पूर्वजों की विरासत को वर्तमान में यहां दोनों समुदाय के लोगों निभा रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है