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Giridih News: सांख्यिकी के जनक पीसी महालनोबिस के पुराने घर के सौंदर्यीकरण पर खर्च होंगे 8.6 करोड़

Giridih News: बता दें कि श्रीराम कृष्ण महिला कॉलेज परिसर के अंदर स्व महालनोबिस का पुराना घर है, जिस पर इन दिनों इंटर सेक्शन के साथ-साथ म्यूजिक क्लास, प्रिंसिपल का ऑफिस समेत प्रशासनिक कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार सांख्यिकी के जनक स्व महालनोबिस गिरिडीह के प्राकृतिक छटा से प्रभावित होकर यहां पहुंचे थे.

शहर के न्यू बरगंडा में स्थित सांख्यिकी के जनक पीसी महालनोबिस के पुराने घर का सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार ने 8.6 करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है. बता दें कि श्रीराम कृष्ण महिला कॉलेज परिसर के अंदर स्व महालनोबिस का पुराना घर है, जिस पर इन दिनों इंटर सेक्शन के साथ-साथ म्यूजिक क्लास, प्रिंसिपल का ऑफिस समेत प्रशासनिक कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार सांख्यिकी के जनक स्व महालनोबिस गिरिडीह के प्राकृतिक छटा से प्रभावित होकर यहां पहुंचे थे. पहुंचने के बाद उन्होंने सांख्यिकी को लेकर कई शोध किया और फिर वर्ष 1932 में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना की. इसी दौरान स्व महालनोबिस ने गिरिडीह में रहने के लिए अपना घर भी बनवाया. बताते हैं कि उनके इस घर में प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर भी आया-जाया करते थे. तीन खंडों में बने उनके घर का नामकरण भी रवींद्रनाथ टैगोर ने ही किया था. एक खंड का नाम सालवनी, दूसरे खंड का नाम महुआ और तीसरे खंड का नाम उत्तरा था. ये सभी नाम पेड़-पौधों से संबंधित रखा गया था. क्योंकि उसरी नदी के किनारे स्थित इस घर के आसपास काफी संख्या में साल और महुआ के पेड़ थे और उत्तर दिशा में रहने के कारण एक खंड का नाम उत्तरा रखा गया था.

1979 में कॉलेज को दान में दे दी गयी जमीन

स्व महालनोबिस की मृत्यु वर्ष 1972 में हो गयी. इसके बाद उनकी पत्नी निर्मल कुमारी उर्फ निर्मला महालनोबिस ने अपने घर समेत लगभग डेढ़ एकड़ जमीन महिला कॉलेज संचालन के लिए तत्कालीन कॉलेज मैनेजिंग कमेटी के फाउंडर मेंबर व सर जेसी बोस बालिका विद्यालय की प्रिंसिपल खन्ना बोस उर्फ बोड़ दी को दान में दे दी. इस भवन के मिलने के बाद और भी कमरे बनवाये गये. बताया जाता है कि सालवनी खंड में महालनोबिस की लाइब्रेरी और ऑफिस चलता था, जहां अब कॉलेज की प्रिंसिपल का ऑफिस है. इसके अन्य कमरे में अकाउंट्स, एग्जाम डिपार्टमेंट, एडमिशन डिपार्टमेंट और प्रशासनिक भवन का संचालन किया जा रहा है. जबकि, महुआ खंड में वे खुद रहते थे और इसी खंड में किचन आदि की भी व्यवस्था थी. उत्तरा खंड को उन्होंने गेस्ट हाउस के रूप में बना रखा था जो आज कला भवन के रूप में तब्दील हो गया है.

पुरातात्विक अवशेष को अक्षुण्ण रखकर किया जायेगा सौंदर्यीकरण

गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि सांख्यिकी के जनक पीसी महालनोबिस के निवास स्थान को सुसज्जित किये जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. इसके सौंदर्यीकरण पर झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 8 करोड़ 60 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी है और अब काम भी शुरू कर दिया गया है. बताया कि झारखंड भवन निर्माण निगम को निर्देश दिया गया है कि वे स्व महालनोबिस के पुराने घर को नष्ट किये बिना सौंदर्यीकरण का कार्य करेंगे. पुरातात्विक अवशेष को अक्षुण्ण रखकर सौंदर्यीकरण का कार्य किया जायेगा. इसके अलावे महिला कॉलेज परिसर के भीतर एक अलग तीन मंजिला भवन बनाया जायेगा जिसमें लिफ्ट की भी सुविधा होगी. साथ ही बेंच-डेस्क व ऑफिस की अन्य सामग्री भी उपलब्ध कराया जायेगी.

पीजी के साथ-साथ वोकेशनल कोर्स का भी होगा शुरूआत

वर्तमान में श्रीराम कृष्ण महिला कॉलेज में कई विषयों में पीजी की पढ़ाई हो रही है. शीघ्र ही अन्य विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरू करने की योजना है. इस मामले पर कॉलेज की प्रिंसिपल मधुश्री सेन सान्याल ने कहा कि कॉलेज को योगीटांड़ शिफ्ट करने की योजना है. भवन बनने के बाद कॉलेज को शिफ्ट कर दिया जायेगा. लेकिन, पीसी महालनोबिस के इस परिसर में पीजी के साथ-साथ वोकेशनल कोर्स की शुरूआत की जायेगी.

घर के अस्तित्व को बचाने का प्रयास ही स्व महालनोविस को सच्ची श्रद्धांजलि है

सांख्यिकी के जनक स्व महालनोबिस के पुराना घर अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष चल रहा था. इस मामले को लेकर गिरिडीह बंगाली समाज समेत अन्य संगठनों ने सौंदर्यीकरण की मांग की थी. पिछले दिनों उच्च शिक्षा एवं तकनीक विभाग के सचिव राहुल पुरवार ने महिला कॉलेज का निरीक्षण किया और वह स्व महालनोबिस के घर को देखकर काफी प्रभावित हुए. विधायक श्री सोनू ने स्व महालनोबिस के गिरिडीह में बिताये गये पल, गिरिडीह में किये गये शोध और भारतीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना के संंबंध में उन्हें विस्तृत जानकारी दी. गिरिडीह से लौटने के बाद श्री पुरवार ने सौंदर्यीकरण के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी. इस मामले पर श्री आरके महिला कॉलेज की प्रिंसिपल मधुश्री सेन सान्याल ने कहा कि उनके घर के अस्तित्व को बचाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है. बताया कि गिरिडीह को उन्होंने काफी कुछ दिया है. गिरिडीह में उनके रहते कई शिक्षाविद भी कोलकाता से गिरिडीह आते-जाते थे. वहीं पूर्व प्राचार्य गीता डे ने कहा कि काफी दिनों बाद लेकिन सरकार ने एक अच्छी पहल की है. कहा कि उत्तरा खंड को नहीं बचाया जा सका. जर्जर हो जाने के कारण वह धराशायी हो गया, जहां बाद में कला भवन बनाया गया. सुश्री डे ने कहा कि स्व महालनोबिस के इस भवन को देखकर बच्चों को एक नयी दिशा मिलेगी.

(संवाददाता- राकेश सिन्हा, गिरिडीह)I

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