राकेश सिन्हा, गिरिडीह.
जिले में चरमरायी हुई जनवितरण प्रणाली व्यवस्था को झारखंड राज्य खाद्य आयोग ने गंभीरता से लिया है. आयोग ने अनाज वितरण में की जा रही गड़बड़ी को संज्ञान लेते हुए गिरिडीह जिला प्रशासन को नोटिस जारी किया है. इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष हिमांशु शेखर चौधरी ने प्रभात खबर में छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए गिरिडीह के उपायुक्त को जांच प्रतिवेदन सात दिनों के अंदर समर्पित करने का आदेश दिया है. बता दें कि पिछले कई माह से प्रभात खबर ने गिरिडीह में चरमरायी हुई जनवितरण प्रणाली व्यवस्था को उजागर कर रहा है और कार्डधारियों को निर्धारित व नियमित रूप से अनाज नहीं मिलने का मामला उठा रहा है. पिछले दिनों प्रभात खबर ने यह भी खुलासा किया कि गिरिडीह जिले में पीडीएस का 87 हजार क्विंटल अनाज गायब है. श्री चौधरी ने गिरिडीह के उपायुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि गिरिडीह जिला में जनवितरण प्रणाली में व्याप्त अनियमितता पर कई खबरें प्रभात खबर में लगातार प्रकाशित हो रही है. इन खबरों की कतरनों की प्रति आपको प्रेषित करते हुए निर्देश दिया जाता है कि आप अपर समाहर्ता सह जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी से खबरों में उल्लेखित सभी अनियमितताओं की विस्तृत जांच कर अपना जांच प्रतिवेदन आयोग को सात दिनों में समर्पित कराना सुनिश्चित करेंगे. बता दें कि बगोदर के माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने भी जनवितरण प्रणाली की खराब व्यवस्था पर कई सवाल उठाते हुए आयोग को हस्तक्षेप करने की मांग की थी.कई प्रखंडों में डीलरों को अगस्त माह का भी नहीं मिला है अनाज :
जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा बार-बार प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और डीलरों को अनाज वितरण को लेकर चेतावनी तो दी जा रही है, लेकिन एजीएम और डीएसडी संवेदक पर कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है. फलस्वरूप डीलरों को समय पर अनाज भी नहीं मिल पा रहा है. यही कारण है कि जिले में कुल 1946 पीडीएस दुकानदारों में से 714 दुकानों का वितरण शून्य है. जमुआ की बात करें तो इस प्रखंड में ढाई माह का बैकलॉग चल रहा था. यानि इस प्रखंड में आवंटन के विरुद्ध ढाई माह का अनाज गायब था. स्थिति यह है कि डबल फिंगर और अतिरिक्त अनाज मिलने के बाद बैकलॉग डेढ़ माह का अभी चल रहा है. जमुआ के एजीएम देवदयाल रजवार ने बताया कि अगस्त माह समाप्त हो गया है, लेकिन अभी जुलाई माह का ही अनाज डीलरों को भेजा जा रहा है. जुलाई माह का 50 प्रतिशत अनाज का उठाव हो चुका है. उन्होंने बताया कि अभी तक एफसीआई से तीन हजार क्विंटल अनाज अगस्त माह का नहीं मिल पाया है. यहां गौरतलब बात तो यह है कि जुलाई माह का विभागीय पोर्टल बंद है. इसके बाद भी डीलरों को अनाज भेजा जा रहा है. जानकार लोगों का कहना है कि तकनीकी हेरफेर कर गायब अनाज का समायोजन किया जा रहा है. वहीं गिरिडीह के एजीएम संजय यादव ने बताया कि गिरिडीह प्रखंड में शत प्रतिशत डीलरों को अगस्त माह का अनाज दे दिया गया है. धनवार के एजीएम जयप्रकाश का कहना है कि पूर्व में डेढ़ माह का बैकलॉग चल रहा था. अब एक माह का बैकलॉग चल रहा है. अगस्त महीने का अब तक पूरा अनाज का उठाव नहीं हो पाया है. अब तक अगस्त महीने में दस प्रतिशत अनाज का ही उठाव हो सका है. आवंटन के अनुसार अनाज नहीं मिलने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.प्रति क्विंटल पांच किलो अनाज की हो रही है हेराफेरी :
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के तहत सभी को वजन करने के उपरांत ही अनाज देना है. डीलर के द्वारा कार्डधारियों को अनाज वजन कर देने की व्यवस्था तो की गयी है, लेकिन जिले में राज्य सरकार के एसएफसी गोदामों में कहीं नहीं वजन की व्यवस्था है. इसी प्रकार डीएसडी संवेदकों द्वारा भी डीलरों को वजन कर अनाज नहीं दिया जाता है. यह खुलासा पिछले दिनों गिरिडीह प्रखंड के एसएफसी गोदाम में हो चुकी है. एक डीलर ने कम वजन देने के साथ-साथ गिरिडीह प्रखंड के एसएफसी गोदाम की कई अनियमितताओं को भी उजागर किया था. मिली जानकारी के अनुसार प्रति क्विंटल पांच किलो अनाज की हेराफेरी की जा रही है. यानि गिरिडीह में कुल आवंटन 1,12,836 क्विंटल के विरूद्ध 5642 क्विंटल अनाज की हेराफेरी हो रही है जिसका बाजार मूल्य लगभग डेढ़ करोड़ से भी उपर है. इस प्रकार यह डेढ़ करोड़ की राशि इस सिस्टम में शामिल लोगों को हासिल हो रहा है. मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश डीलरों द्वारा प्रति क्विंटल साढ़े तीन केजी अनाज की हेराफेरी वजन में की जा रही है. वहीं बोरा का लगभग 650 ग्राम प्रति बैग यानि एक क्विंटल पर डेढ़ किलो वजन डीलरों को कम मिलता है. डीलरों का कहना है कि इस प्रकार कुल पांच किलो वजन प्रति क्विंटल उन्हें कम दिया जा रहा है.डीएसडी संवेदक कर रहे हैं मनमानी : फेडरेशन
– इस बाबत फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार बंसल ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक माह का अनाज उसी माह में दिया जाना है. लेकिन डीएसडी के संवेदकों द्वारा समय पर अनाज का उठाव नहीं किया जाता. फलस्वरूप डीलरों को हर महीने का अनाज उसी महीने में नहीं मिल पाता है. बताया कि डीएसडी संवेदक द्वारा जितनी गाड़ियों का करार किया जाता है, उतनी संख्या में गाड़ियों की उपलब्धता होती नहीं है. मात्र 25 से 30 प्रतिशत वाहनों का ही उपयोग डीएसडी संवेदक द्वारा किया जाता है. फलस्वरूप वितरण व्यवस्था चौपट हो गयी है. श्री बंसल ने कहा कि अगस्त माह में सभी डीलरों तक अनाज नहीं पहुंचाया गया है. यही कारण है कि 714 डीलरों का वितरण शून्य है. वजन में भी व्यापक गड़बड़ी का जिक्र करते हुए श्री बंसल ने कहा कि डीलरों को अनाज वजन करके देने का प्रावधान है. लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए बिना वजन के ही निर्धारित मात्रा से कम अनाज डीलरों को दिया जा रहा है. किसी भी प्रखंड में कहीं भी वजन की कोई व्यवस्था नहीं है.जविप्र व्यवस्था में हो रही अनियमितताएं
1. निर्धारित समय पर नहीं हो रहा है अनाज का वितरण2. कार्डधारियों को कम मात्रा में मिल रहा है अनाज3. कई को डबल फिंगर लेकर एक माह का दिया जाता है अनाज4. डीलर को भी डीएसडी वाले कम मात्रा में देते हैं अनाज5. बोरा का वजन नहीं घटाया जाता
6. डीलरों से लिया जाता है अनलोडिंग का भी मजदूरी7. 87 हजार क्विंटल अनाज का कोई लेखा-जोखा नहीं8. अवैध तरीके से 2588 ग्रीन कार्ड बदल दिये गये लाल कार्ड में9. करार के मुताबिक डीएसडी संवेदक नहीं करते वाहनों का इस्तेमाल
10. खाद्य सुरक्षा अधिनियमों की हो रही है अनदेखीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है